मंगलवार, 16 दिसंबर 2014

भोजन के अन्त में पानी विष समान है ।

भोजन के अन्त में पानी विष समान है ।


भोजन हमेशा धीरे धीरे, आराम से जमीन पर बैठकर करना चाहिए
ताकि सीधे अमाशय में जा सके । यदि पानी पीना हो तो भोजन
आधा घंटा पहले पी ले । भोजन के समय पानी न पियें । यदि प्यास
लगती हो या भोजन अटकता हो तो मठ्ठा / छाछ ले सकते हैं
या उस मौसम के किसी भी फल का रस पी सकते है (डिब्बा बन्ध
फलों का रस गलती से भी न पियें) । पानी नहीं पीना है
क्योंकि जब हम भोजन करते है तो उस भोजन को पचाने के लिए
हमारी जठराग्नि में अग्नि प्रदीप्त होती है । उसी अग्नि से वह
खाना पचता है । यदि हम पानी पीते है तो खाना पचाने के लिए
पैदा हुई अग्नि मंद पड़ती है और खाना अच्छी तरह से
नहीं पचता और वह विष बनता है । कई तरह
की बीमारियां पैदा करता है । भोजन करने के एक घन्टा बाद
ही पानी पिए वो भी घूंट घूंट करके ।
सुबह उठकर दो तीन गिलास पानी पिए, दिन में ३-४ लिटर
पानी जरूर पिए और पानी हमेशा कुनकुना(न ज्यादा ठण्डा न
गर्म) पीए और आराम से बैठ्कर घूंट भर भर के पिए
फायदे
मोटापा कम करने के लिए यह पद्धति सर्वोत्तम है । पित्त
की बिमारियों को कम करने के लिए, अपच, खट्टी डकारें, पेट दर्द,
कब्ज, गैस आदि बिमारियों को इस पद्धति से अच्छी तरह से ठीक
किया जा सकता है 

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