शुक्रवार, 30 जनवरी 2015

कुछ उपाऐ......


१- यदि आपका ब्लड प्रेशर लो रहता है, तो प्रतिदिन तीन दाने
कालीमिर्च के साथ 21 दाने किशमिश का सेवन करे।
२- जुकाम होने पर कालीमिर्च के चार-पांच दाने पीसकर एक कप
दूध में पकाकर सुबह-शाम लेने से लाभ मिलता है।
३- एक चम्मच शहद में 2-3 बारीक कुटी हुई कालीमिर्च और एक
चुटकी हल्दी पाउडर मिलाकर लेने से कफ में राहत मिलती है।
४- इससे शरीर की थकावट दूर होती है। कालीमिर्च से गले
की खराश दूर होती है।
५- इससे रक्त संचार सुधरता है।यह दिमाग के लिए फायदेमंद
होती है। गैस के कारण पेट फूलने पर कालीमिर्च असरदार होती है।
इससे गैस दूर होती है।
६-कालीमिर्च की चाय पीने से सर्दी-ज़ुकाम, खाँसी और
वायरल इंफेक्शन में राहत मिलती है। कालीमिर्च पाचनक्रिया में
सहायक होती है।
७- कालीमिर्च सभी प्रकार के संक्रमण में लाभ देती है।

गुरुवार, 29 जनवरी 2015

घरेलू उपाय, सांसों को महकाए


* लौंग मुंह में रखकर चूसें।
* सौंफ और सुआ सेंककर मिला लें। दिन में तीन बार मुखशुद्धि के
रूप में इस्तेमाल करें। फायदा होगा।
* मुलेहठी खाने से भी मुंह की दुर्गंध का नाश होता है।
* एक गिलास पानी में ताजा कागजी नींबू पूरा निचोड़कर
पीने से श्वास की बदबू दूर होती है।
* दो काली मिर्च रात को मंजन से पहले ताजा चबाएँ।
* तीन पत्तियों और जामुन की पत्तियों को चबाकर धीरे-धीरे
उसका रस निगलने से फायदा होगा।
* तुलसी के पांच पत्ते प्रतिदिन चबाएं। सांस की बदबू दूर होगी।
* भुना हुआ जीरा सेवन करना चाहिए।
* इलायची के सेवन से मुंह की दुर्गंध का नाश होता 

सुबह गरम पानी में निम्बू डालकर पिने के बहुत लाभ है. ---

- रोग प्रतिरोधक शक्ति को बढाता है.
- शरीर के सभी अंगों को पानी दे कर तरोताजा करता है.
- तनाव दूर करता है.
- यह एसिडिटी घटाता है.
- लीवर को डीटॉक्स करता है.
- पाचन में मदद करता है.
- वजन घटाने में मदद करता है.
- त्वचा को सुन्दर बनाता है.
- इसमें मौजूद पोटैशियम नर्व्स के लिए , हार्ट के लिए
अच्छा होता है. रक्तचाप भी संतुलित करता है.

मंगलवार, 27 जनवरी 2015

मधुमेह से बचाय

मधुमेह एक खतरनाक बीमारी है और अनियमित दिनचर्या के
कारण इसके मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है। ब्लड में शुगर
की मात्रा बढ़ने से डायबिटीज बीमारी होती है। अगर आप
रोजाना नीम का रस पिएंगे तो आपका ब्लड़ शुगर का स्तर
बढ़ेगा नहीं और आपको मधुमेह जैसी बीमारी नहीं होगी। मधुमेह के
रोगी भी इसका सेवन करके अपने ब्लड शुगर के स्तर को सामान्य
रखे।

दिल के रोगियों के लिए घरेलू नुस्खे


पीपल के 15 पत्ते लें जो कोमल गुलाबी कोंपलें न हों,
बल्कि पत्ते हरे, कोमल व भली प्रकार विकसित हों। प्रत्येक
का ऊपर व नीचे का कुछ भाग कैंची से काटकर अलग कर दें। पत्ते
का बीच का भाग पानी से साफ कर लें। इन्हें एक गिलास
पानी में धीमी आँच पर पकने दें। जब पानी उबलकर एक तिहाई रह
जाए तब ठंडा होने पर साफ कपड़े से छान लें और उसे ठंडे स्थान पर
रख दें, दवा तैयार।
इस काढ़े की तीन खुराकें बनाकर प्रत्येक तीन घंटे बाद
प्रातः लें। हार्ट अटैक के बाद कुछ समय हो जाने के पश्चात
लगातार पंद्रह दिन तक इसे लेने से हृदय पुनः स्वस्थ हो जाता है
और फिर दिल का दौरा पड़ने की संभावना नहीं रहती। दिल के
रोगी इस नुस्खे का एक बार प्रयोग अवश्य करें।
* पीपल के पत्ते में दिल को बल और शांति देने की अद्भुत
क्षमता है।
* इस पीपल के काढ़े की तीन खुराकें सवेरे 8 बजे, 11 बजे व 2 बजे
ली जा सकती हैं।
* खुराक लेने से पहले पेट एक दम खाली नहीं होना चाहिए,
बल्कि सुपाच्य व हल्का नाश्ता करने के बाद ही लें।
* प्रयोगकाल में तली चीजें, चावल आदि न लें। मांस, मछली,
अंडे, शराब, धूम्रपान का प्रयोग बंद कर दें। नमक, चिकनाई
का प्रयोग बंद कर दें।
* अनार, पपीता, आंवला, बथुआ, लहसुन, मैथी दाना, सेब
का मुरब्बा, मौसंबी, रात में भिगोए काले चने, किशमिश,
गुग्गुल, दही, छाछ आदि लें।

आँखों की देखभाल और उसकी रौशनी बढ़ाने के कुछ आसान से उपाय


ईश्वर की बनायी गयी इस दुनिया को दखने का माध्यम केवल
हमारी ऑंखें ही है और इनको उम्र के पड़ाव के साथ देखभाल
की भी नितांत आवयकता होती है क्योंकि बढ़ती उम्र के साथ
हमारी आँखों के चारो तरफ क मांसपेशियां ढीली पड़ने
लगती है और हमारी आँखें कमजोर हो जाती है।
आंखों की रौशनी हमारे आहार और जीवनशैली पर भी निर्भर
करती है।
आँखों की देखभाल और उसकी रौशनी बढ़ाने के कुछ आसान से
उपाय
* सुबह उठकर मुहँ में पानी भरकर आँखें खोलकर साफ पानी के
छीटें आँखों में मारने चाहिए इससे आँखों की रौशनी बढ़ती है ।
* प्रातः खाली पेट आधा चम्मच ताजा मक्खन, आधा चम्मच
पसी हुई मिश्री और 5 पिसी काली मिर्च मलाकर चाट लें,
इसके बाद कच्चे नारीयल की गिरी के 2-3 टुकड़े खूब चबा-
चबाकर खाये और ऊपर से थोड़ी सौंफ चबाकर खा लें फिर
दो घंटे तक कुछ भी न खाये। यह क्रिया 2-3 माह तक जरूर करिये

* बालों पर रंग, हेयर डाई और केमीकल शैम्पू लगाने से परहेज करें ।
* रात को 1 चम्मच त्रिफला मिट्टी के बर्तन में भिगाकर सुबह
छाने हुए पानी से आँखें धोयें। इससे आँखों की रोशनी बढ़ती है
और कोई बीमारी भी नहीं होती है।
* प्रातःकाल सूर्योदय से पहले नियमित रूप से हरी घास पर
15-20 मिनट तक नंगे पैर टहलना चाहए। घास पर ओस
की नमी रहती है नंगे पैर इस पर टहलने से आँख को तनाव से राहत
मिलती है।और रौशनी भी बढ़ती है ।
* पैरों के तलवे की सरसों के तेल से नियमित मालिश
करनी चाहिए । नहाने से 10 मिनट पूर्व पैरों के
अंगूठों को सरसों के तेल से तर करने से आँखों की रौशनी लम्बे
समय तक कायम रहती है ।
* पालक, पत्ता गोभी, हरी सब्जियाँ और पीले फल खाएं।
विटामिन ए, सी और ई से भरपूर कई पीले फल हमारी आंखों के
लिए फायदेमंद हैं। इसके अतिरिक्त पपीता, संतरा, नींबू आदि के
सेवन से दिन की रोशनी में हमारे देखने की क्षमता बढ़ती हैं।
* आँखों की रौशनी बढ़ाने के लिए प्रतिदिन 1-2 गाजर खूब
चबा-चबाकर खाएँ ।गाजर का रस निकालकर भोजन के घंटे भर
बाद पिएँ।
* नियमित रूप से अंगूर खाएं, अंगूर के सेवन से रात में देखने
की क्षमता बढ़ती है।
* 2 अखरोट और 3 हरड की गुठली को जलाकर उनकी भस्म के
साथ 4 काली मिर्च को पीसकर उसका अंजन करने से
आँखों की रौशनी बढती हे।
* 10 ग्राम छोटी हरी इलाइची , 20 ग्राम सौंफ के मिश्रण
को महीन पीस लें। एक चम्मच चूर्ण को दूध के साथ नियमित रूप
से पीने से आंखों की ज्योति अवश्य ही बढ़ती है।
* अनार के 5 से 6 पत्ते को पीस कर दिन में 2 बार लेप करने से
दुखती आँख में लाभ होता हे और रौशनी भी बढ़ती है ।
* 300 ग्राम सौंफ को अच्छे से साफ करके कांच के बर्तन में रख ले
अब बदाम और गाजर के रस से सौंफ को तीन बार भगोएँ जब सुख
जाए तो इसे रोज रात दूध के साथ लें इससे
भी आँखों की रोशनी बढ़ती है ।
* सूखें आँवले को रात में पानी में अच्छी तरह धोकर भिगो दें फिर
दिन में 3 बार इसे रुई से आँखों में डालें और आँवले
का ज्यादा ज्यादा किसी ना किसी रूप में अपने खाने / पीने
में अवश्य ही प्रयोग करें। 3 माह के अंदर ही चश्मा उतर जायेगा ।
* प्रतिदिन भोजन के साथ 50 से 100 ग्राम मात्रा में
पत्तागोभी के पत्तों का सलाद बारीक कतर कर, इन पर
पिसा हुआ सेंधा नमक और काली मिर्च डालकर खूब चबा-
चबाकर खाएँ।
* आंखों की स्वस्थ्यता के लिए अच्छी नींद जरूरी है,
नहीं तो आंखों के नीचे काला घेरा पड़ जाता है और
रोशनी भी कम होती है।

सोमवार, 26 जनवरी 2015

इस फल को खाएं उग आएंगे सिर के उड़े हुए बाल .......!


* सीताफल(शरीफा ) एक बड़ा ही स्वादिष्ट
फल है लेकिन
लोग इसके बारे में थोड़ा कम जानकारी रखते हैं।
सीताफल अगस्त से नवम्बर के आस-पास अर्थात्
आश्विन से माघ मास
के बीच आने वाला फल है। अगर आयुर्वेद
की बात माने
तो सीताफल शरीर को शीतलता पहुंचाता है।
यह पित्तशामक, तृषाशामक, उलटी बंद करने वाला,
पौष्टिक,
तृप्तिकर्ता, कफ एवं वीर्यवर्धक, मांस एवं
रक्तवर्धक,
बलवर्धक, वातदोषशामक एवं हृदय के लिए
बहुत ही लाभदायी होता है।
* सीताफल को भगवन राम एवं माता सीता से
जोड़ते हैं।
ऐसी मान्यता है कि सीता ने वनवास के समय
जो वन फल
राम को भेंट किया, उसी का नाम सीताफल पड़ा। अगर आप
दिन में एक # सीताफल का सेवन करते हैं,
तो आपको अनेको बीमारियों से निजात
मिलेगा। आइये जानते
हैं सीताफल खाने से हम किन-किन
बीमारियों से निजात
पा सकते हैं।
* सीताफल सिर्फ फल नहीं, दवा भी है। एक्सपर्ट्स
का कहना है कि जो लोग शरीर से दुबले पतले
होते हैं उन्हें
सीताफल खाना चाहिए। सीताफल खाने से
शरीर
की दुर्बलता तो दूर होती ही है साथ ही मैनपावर
भी बढता है।
* सीताफल एक मीठा फल है। इसमें
काफी मात्रा में
कैलोरी होती है। यह आसानी से पचने
वाला और अल्सर व एसिडिटी में लाभकारी होता है। इसमें
आयरन और विटामिन-
सी की मात्रा अच्छी होती है। इसके
अलावा सीताफल कई
रोगों में रामबाण की तरह काम करता है।
* सीताफल के बीजों को बकरी के दूध के साथ पीस कर
बालों में लगाने से सिर के उड़े हुए बाल फिर से
उग आते हैं।
* सीताफल के बीजों को बारीक पीस कर रात
को सिर में
लगा लें और किसी मोटे कपड़े से सिर को अच्छी तरह बांध कर
सो जाएं। इससे जुएं मर जाती हैं। इस बात
का ध्यान रखें
कि यह आंखों तक न पहुंचे, क्योंकि इससे
आंखों में जलन व
अन्य नुकसान हो सकता है। शरीफा के पत्तों का रस
बालों की जड़ो में अच्छी तरह मालिश करने से
जुएं मर
जाती हैं। सीताफल के बीजों को महीन चूर्ण
बनाकर पानी से
लेप तैयार कर रात को सिर में लगाएं एवं सबेरे धो लें।
दो तीन रात ऐसा करने से जुएं समाप्त
हो जाती हैं।
चूंकि बीज से निकलने वाला तेल
विषला होता है, इसलिए
बालों में इसका लेप लगाते समय आंख को बचाकर
रखना चाहिये।
* सीताफल घबराहट को दूर करता है। हार्ट
बीट
को सही करता है। इसकी एक बड़ी किस्म
और होती है, जिसे रामफल कहते हैं। जिनका हृदय कमजोर
हो, हृदय
का स्पंदन खूब ज्यादा हो, घबराहट होती हो,
उच्च
रक्तचाप हो ऐसे रोगियों के लिए
भी सीताफल का सेवन लाभप्रद है।
* सीताफल खाने से इसके गूदे से बने शरबत
को पीने से शरीर
की जलन को ठीक करता है। वे लोग
जिनका शरीर हर वक्त
जलता रहता है और गर्म रहता है, उन्हें नियमित रूप से
सीताफल का सेवन करना चाहिये।
* शरीफा में विटामिन ए प्रचुर मात्रा में
होता है
जो त्वचा को स्वस्थ रखने में मददगार होता है।
यह त्वचा पर आने वाले एजिंग के निशानों से
भी बचाता है।
* पेट के लिये... इसमें घुलनशील रेशे होते हैं,
जो कि पाचक्रिया के लिये बेहतरीन होते
हैं।
* इसमे खूब सारा विटामिन ए होता है, जो कि हमारे
बालों, आंखों और त्वचा के लिये बहुत
ही फायदेमंद होता है।
* सीताफल के पत्तों को पीस कर फोड़ों पर
लगाने से फोड़े
ठीक हो जाते हैं। * सीताफल शरीर की दुर्बलता, थकान, मांस-
पेशियां क्षीण
होने की दशा में सीताफल
का खाना लाभकारी होता है।
* सीताफल का कच्चा फल खाना अतिसार और
पेचिश में उपयोगी है। यह शरीर के लिए अत्यंत श्रेष्ठ
फल है। जब
फल कच्चा हो तब उसे काट कर सुखा दें और
पीस कर
रोगी को खिलाएं। इससे
डायरिया की समस्या सही हो जाएगी।

हींग शक्तिशाली घरेलू औषधि

* दांतों में कीड़ा लग जाने पर
रात्रि को दांत में
हींग दबाकर सोएं। कीड़े खुद-ब-खुद निकल
जाएंगे। * यदि शरीर के किसी हिस्से में कांटा चुभ
गया हो तो उस स्थान पर हींग का घोल भर दें।
कुछ समय में कांटा स्वतः निकल आएगा। * हींग में रोग-
प्रतिरोधक क्षमता होती है।
दाद, खाज, खुजली व अन्य चर्म रोगों में
इसको पानी में घिसकर उन स्थानों पर लगाने
से लाभ होता है। * हींग का लेप बवासीर, तिल्ली व उदरशोथ में
लाभप्रद है। * कब्जियत की शिकायत होने पर हींग के
चूर्ण में थोड़ा सा मीठा सोड़ा मिलाकर
रात्रि को फांक लें, सबेरे शौच साफ होगा। * पेट के दर्द, अफारे,
ऐंठन आदि में अजवाइन
और नमक के साथ हींग का सेवन करें तो लाभ
होगा। * पेट में कीड़े हो जाने पर हींग को पानी में
घोलकर एनिमा लेने से पेट के कीड़े शीघ्र
निकल आते हैं। * जख्म यदि कुछ समय तक खुला रहे तो उसमें
छोटे-छोटे रोगाणु पनप जाते हैं। जख्म पर हींग
का चूर्ण डालने से रोगाणु नष्ट हो जाते हैं।

रविवार, 25 जनवरी 2015

गाय का घी नाक में डालने से कान का पर्दा बिना ओपरेशन के ही ठीक हो जाता है।

*०* नाक में घी डालने से नाक की खुश्की दूर होती है
और दिमाग तरोताजा हो जाता है।*०*
.
*०* गाय का घी नाक में डालने से कोमा से बाहर
निकल कर चेतना वापस लोट आती है।*०*
.
*०* गाय का घी नाक में डालने से बाल झडना समाप्त
होकर नए बाल भी आने लगते है।*०*
.
*०* गाय के घी को नाक में डालने से मानसिक
शांति मिलती है, याददाश्त तेज होती है।*०*
.
*०* हाथ पाव मे जलन होने पर गाय के घी को तलवो में
मालिश करें जलन ठीक होता है।*०*
.
*०* हिचकी के न रुकने पर खाली गाय का आधा चम्मच
घी खाए, हिचकी स्वयं रुक जाएगी।
*०*
.
*०* गाय के घी का नियमित सेवन करने से एसिडिटी व
कब्ज की शिकायत कम हो जाती है।
*०*
.
*०* गाय के घी से बल और वीर्य बढ़ता है और
शारीरिक
व मानसिक ताकत में भी इजाफा होता है।
*०*
.
*०* गाय के पुराने घी से बच्चों को छाती और पीठ पर
मालिश करने से कफ की शिकायत दूर हो जाती है।
*०*
.
*०*अगर अधिक कमजोरी लगे, तो एक गिलास दूध में एक
चम्मच गाय का घी और मिश्री डालकर पी लें।*०*
.
*०* हथेली और पांव के तलवो में जलन होने पर गाय के
घी की मालिश करने से जलन में आराम आयेगा।
*०*
.
*०* गाय का घी न सिर्फ कैंसर को पैदा होने से
रोकता है और इस बीमारी के फैलने
को भी आश्चर्यजनक ढंग से रोकता है।
*०*
.
*०* जिस व्यक्ति को हार्ट अटैक की तकलीफ है और
चिकनाइ खाने की मनाही है तो गाय
का घी खाएं, हर्दय मज़बूत होता है।
*०*
.
*०* देसी गाय के घी में कैंसर से लड़ने की अचूक
क्षमता होती है। इसके सेवन से स्तन तथा आंत के
खतरनाक कैंसर से बचा जा सकता है। *०*
.
*०* घी, छिलका सहित पिसा हुआ काला चना और
पिसी *०*घी, छिलका सहित पिसा हुआ
काला चना और
पिसी शक्कर (बूरा) तीनों को समान मात्रा में
मिलाकर लड्डू बाँध लें। प्रातः खाली पेट एक लड्डू
खूब चबा-चबाकर खाते हुए एक गिलास
मीठा गुनगुना दूध घूँट-घूँट करके पीने से स्त्रियों के
प्रदर रोग में आराम होता है, पुरुषों का शरीर
मोटा ताजा यानी सुडौल और बलवान बनता है।
.*०*
.
*०* फफोलो पर गाय का देसी घी लगाने से आराम
मिलता है।
*०*
. *०* गाय के घी की झाती पर मालिस करने
से बच्चो के बलगम को बहार निकालने मे सहायक
होता है।
*०*
.
*०*सांप के काटने पर 100 -150 ग्राम घी पिलायें
उपर से
जितना गुनगुना पानी पिला सके पिलायें जिससे
उलटी और दस्त तो लगेंगे ही लेकिन सांप का विष
कम हो जायेगा।
*०*
.
*०*दो बूंद देसी गाय का घी नाक में सुबह शाम डालने
से माइग्रेन दर्द ठीक होता है। *०*
.
*०*
सिर दर्द होने पर
शरीर में गर्मी लगती हो, तो गाय के
घी की पैरों के तलवे पर मालिश करे, सर दर्द ठीक
हो जायेगा।
*०*
.
*०* यह स्मरण रहे कि गाय के घी के सेवन से
कॉलेस्ट्रॉल
नहीं बढ़ता है। वजन भी नही बढ़ता, बल्कि वजन
को संतुलित करता है । यानी के कमजोर
व्यक्ति का वजन बढ़ता है, मोटे
व्यक्ति का मोटापा (वजन) कम होता है।*०*
.
*०* एक चम्मच गाय का शुद्ध घी में एक चम्मच बूरा और
1/4
चम्मच पिसी काली मिर्च इन
तीनों को मिलाकर सुबह खाली पेट और रात
को सोते समय चाट कर ऊपर से गर्म मीठा दूध पीने से
आँखों की ज्योति बढ़ती है।*०*
.
*०*गाय के घी को ठन्डे जल में फेंट ले और फिर
घी को पानी से अलग कर ले यह प्रक्रिया लगभग
सौ बार करे और इसमें थोड़ा सा कपूर डालकर
मिला दें। इस विधि द्वारा प्राप्त घी एक असर
कारक औषधि में परिवर्तित हो जाता है जिसे
जिसे त्वचा सम्बन्धी हर चर्म रोगों में चमत्कारिक
कि तरह से इस्तेमाल कर सकते है। यह सौराइशिस के
लिए भी कारगर है।
.
*०*गाय का घी एक अच्छा (LDL) कोलेस्ट्रॉल है। उच्च
कोलेस्ट्रॉल के रोगियों को गाय
का घी ही खाना चाहिए। यह एक बहुत
अच्छा टॉनिक भी है।*०*
.
*०*अगर आप गाय के घी की कुछ बूँदें दिन में तीन बार,
नाक में प्रयोग करेंगे तो यह त्रिदोष (वात पित्त और
कफ) को संतुलित करता है।*०*
.
.
***वन्दे गऊ मातरम***

साँप काटने का इलाज !


दोस्तो सबसे पहले साँपो के बारे मे एक महत्वपूर्ण बात आप ये जान
लीजिये ! कि अपने देश भारत मे 550 किस्म के साँप है ! जैसे एक
cobra है ,viper है ,karit है ! ऐसी 550 किस्म
की साँपो की जातियाँ हैं ! इनमे से मुश्किल से 10 साँप है
जो जहरीले है सिर्फ 10 ! बाकी सब non poisonous है!
इसका मतलब ये हुआ 540 साँप ऐसे है जिनके काटने से आपको कुछ
नहीं होगा !! बिलकुल चिंता मत करिए !
लेकिन साँप के काटने का डर इतना है (हाय साँप ने काट लिया )
और कि कई बार आदमी heart attack से मर जाता है !जहर से
नहीं मरता cardiac arrest से मर जाता है ! तो डर इतना है मन मे !
तो ये डर निकलना चाहिए !
वो डर कैसे निकलेगा ????
जब आपको ये पता होगा कि 550 तरह के साँप है उनमे से सिर्फ 10
साँप जहरीले हैं ! जिनके काटने से कोई मरता है ! इनमे से जो सबसे
जहरीला साँप है उसका नाम है !
russell viper ! उसके बाद है karit इसके बाद है viper और एक है
cobra ! king cobra जिसको आप कहते है काला नाग !! ये 4
तो बहुत ही खतरनाक और जहरीले है इनमे से किसी ने काट
लिया तो 99 % chances है कि death होगी !
लेकिन अगर आप थोड़ी होशियारी दिखाये तो आप
रोगी को बचा सकते हैं
होशियारी क्या दिखनी है ???
आपने देखा होगा साँप जब भी काटता है तो उसके दो दाँत है
जिनमे जहर है जो शरीर के मास के अंदर घुस जाते हैं ! और खून मे
वो अपना जहर छोड़ देता है ! तो फिर ये जहर ऊपर की तरफ
जाता है ! मान लीजिये हाथ पर साँप ने काट लिया तो फिर जहर
दिल की तरफ जाएगा उसके बाद पूरे शरीर मे पहुंचेगा ! ऐसे ही अगर
पैर पर काट लिया तो फिर ऊपर की और heart तक जाएगा और
फिर पूरे शरीर मे पहुंचेगा ! कहीं भी काटेगा तो दिल तक जाएगा !
और पूरे मे खून मे पूरे शरीर मे उसे पहुँचने मे 3 घंटे लगेंगे !
मतलब ये है कि रोगी 3 घंटे तक तो नहीं ही मरेगा ! जब पूरे दिमाग
के एक एक हिस्से मे बाकी सब जगह पर जहर पहुँच
जाएगा तभी उसकी death होगी otherwise नहीं होगी ! तो 3
घंटे का time है रोगी को बचाने का और उस तीन घंटे मे अगर आप
कुछ कर ले तो बहुत अच्छा है !
क्या कर सकते हैं ?? ???
घर मे कोई पुराना इंजेक्शन (injection) हो तो उसे ले और आगे
जहां सुई(needle) लगी होती है वहाँ से काटे ! सुई(needle) जिस
पलास्टिक मे फिट होती है उस प्लास्टिक वाले हिस्से
को काटे !! जैसे ही आप सुई के पीछे लगे पलास्टिक वाले हिस्से
को काटेंगे तो वो injection एक सक्षम पाईप की तरह
हो जाएगा ! बिलकुल वैसा ही जैसा होली के दिनो मे
बच्चो की पिचकारी होती है !
उसके बाद आप रोगी के शरीर पर जहां साँप ने काटा है वो निशान
ढूँढे ! बिलकुल आसानी से मिल जाएगा क्यूंकि जहां साँप
काटता है वहाँ कुछ सूजन आ जाती है और दो निशान जिन पर
हल्का खून लगा होता है आपको मिल जाएँगे ! अब
आपको वो injection( जिसका सुई वाला हिस्सा आपने काट
दिया है) लेना है और उन दो निशान मे से पहले एक निशान पर रख
कर उसको खीचना है ! जैसी आप निशान पर injection रखेंगे
वो निशान पर चिपक जाएगा तो उसमे vacuum crate
हो जाएगा ! और आप खींचेगे तो खून उस injection मे भर जाएगा !
बिलकुल वैसे ही जैसे बच्चे पिचकारी से पानी भरते हैं ! तो आप
इंजेक्शन से खींचते रहिए !और आप first time निकलेंगे तो देखेंगे
कि उस खून का रंग हल्का blackish होगा या dark
होगा तो समझ लीजिये उसमे जहर मिक्स हो गया है !
तो जब तक वो dark और blackish रंग blood निकलता रहे आप
खिंचीये ! तो वो सारा निकल आएगा ! क्यूंकि साँप
जो काटता है उसमे जहर ज्यादा नहीं होता है 0.5 मिलीग्राम के
आस पास होता है क्यूंकि इससे ज्यादा उसके दाँतो मे रह
ही नहीं सकता ! तो 0.5 ,0.6 मिलीग्राम है दो तीन बार मे आपने
खीच लिया तो बाहर आ जाएगा ! और जैसे ही बाहर आएगा आप
देखेंगे कि रोगी मे कुछ बदलाव आ रहा है थोड़ी consciousness
(चेतना) आ जाएगी ! साँप काटने से व्यकित unconsciousness
हो जाता है या semi consciousness हो जाता है और जहर
को बाहर खींचने से चेतना आ जाती है ! consciousness आ गई
तो वो मरेगा नहीं ! तो ये आप उसके लिए first aid (प्राथमिक
सहायता) कर सकते हैं !
इसी injection को आप बीच से कट कर दीजिये बिलकुल बीच कट
कर दीजिये 50% इधर 50% उधर ! तो आगे का जो छेद है
उसका आकार और बढ़ जाएगा और खून और जल्दी से उसमे भरेगा !
तो ये आप रोगी के लिए first aid (प्राथमिक सहायता) के लिए ये
कर सकते हैं !
____________________________
दूसरा एक medicine आप चाहें तो हमेशा अपने घर मे रख सकते हैं बहुत
सस्ती है homeopathy मे आती है ! उसका नाम है NAJA (N A J A )
! homeopathy medicine है किसी भी homeopathy shop मे
आपको मिल जाएगी ! और इसकी potency है 200 ! आप दुकान पर
जाकर कहें NAJA 200 देदो ! तो दुकानदार आपको दे देगा ! ये 5
मिलीलीटर आप घर मे खरीद कर रख लीजिएगा 100
लोगो की जान इससे बच जाएगी ! और इसकी कीमत सिर्फ पाँच
रुपए है ! इसकी बोतल भी आती है 100 मिलीग्राम की 70 से 80
रुपए की उससे आप कम से कम 10000 लोगो की जान बचा सकते हैं
जिनको साँप ने काटा है !
और ये जो medicine है NAJA ये दुनिया के सबसे खतरनाक साँप
का ही poison है जिसको कहते है क्रैक ! इस साँप का poison
दुनिया मे सबसे खराब माना जाता है ! इसके बारे मे कहते है अगर
इसने किसी को काटा तो उसे भगवान ही बचा सकता है !
medicine भी वहाँ काम नहीं करती उसी का ये poison है लेकिन
delusion form मे है तो घबराने की कोई बात नहीं ! आयुर्वेद
का सिद्धांत आप जानते है लोहा लोहे को काटता है तो जब जहर
चला जाता है शरीर के अंदर तो दूसरे साँप का जहर ही काम
आता है !
तो ये NAJA 200 आप घर मे रख लीजिये !अब देनी कैसे है
रोगी को वो आप जान लीजिये !
1 बूंद उसकी जीभ पर रखे और 10 मिनट बाद फिर 1 बूंद रखे और फिर
10 मिनट बाद 1 बूंद रखे !! 3 बार डाल के छोड़ दीजिये !बस
इतना काफी है !
और राजीव भाई video मे बताते है कि ये
दवा रोगी की जिंदगी को हमेशा हमेशा के लिए बचा लेगी ! और
साँप काटने के एलोपेथी मे जो injection है वो आम अस्तप्तालों मे
नहीं मिल पाते ! डाक्टर आपको कहेगा इस अस्तपाताल मे ले
जाओ उसमे ले जाओ आदि आदि !!
और जो ये एलोपेथी वालो के पास injection है इसकी कीमत 10 से
15 हजार रुपए है ! और अगर मिल जाएँ तो डाक्टर एक साथ 8 से
-10 injection ठोक देता है ! कभी कभी 15 तक ठोक देता है मतलब
लाख-डेड लाख तो आपका एक बार मे साफ !! और यहाँ सिर्फ 10
रुपए की medicine से आप उसकी जान बचा सकते हैं !
और राजीव भाई इस video मे बताते है कि injection
जितना effective है मैं इस दवा(NAJA) की गारंटी लेता हूँ ये
दवा एलोपेथी के injection से 100 गुना (times) ज्यादा effective
है !
तो अंत आप याद रखिए घर मे किसी को साँप काटे और अगर
दवा(NAJA) घर मे न हो ! फटाफट कहीं से injection लेकर first aid
(प्राथमिक सहायता) के लिए आप injection वाला उपाय शुरू करे !
और अगर दवा है तो फटाफट पहले दवा पिला दे और उधर से
injection वाला उपचार भी करते रहे !
दवा injection वाले उपचार से ज्यादा जरूरी है !!
________________________________
तो ये जानकारी आप हमेशा याद रखे पता नहीं कब काम आ जाए
हो सकता है आपके ही जीवन मे काम आ जाए ! या पड़ोसी के
जीवन मे या किसी रिश्तेदार के काम आ जाए! तो first aid के
लिए injection की सुई काटने वाला तरीका और ये NAJA 200
hoeopathy दवा ! 10 - 10 मिनट बाद 1 - 1 बूंद तीन बार
रोगी की जान बचा सकती है !!

स्मरण शक्ति तीव्र करने के आसान उपाय ------


अच्छी और तीव्र स्मरण शक्ति के लिए हमें मानसिक और
शारीरिक रूप से स्वस्थ, सबल और निरोग रहना होगा। मानसिक
और शारीरिक रूप से स्वस्थ और सशक्त हुए बिना हम
अपनी स्मृति को भी अच्छी और तीव्र नहीं बनाये रख सकते।
आप यह बात ठीक से याद रखें कि हमारी यादशक्ति हमारे ध्यान
पर और मन की एकाग्रता पर निर्भर करती है। हम जिस तरफ
जितना ज्यादा एकाग्रतापूर्वक ध्यान देंगे, उस तरफ
हमारी विचारशक्ति उतनी ज्यादा केन्द्रित हो जायेगी। जिस
कार्य में भी जितनी अधिक तीव्रता, स्थिरता और
शक्ति लगायी जायेगी, उतनी गहराई और मजबूती से वह कार्य
हमारे स्मृति पटल पर अंकित हो जायेगा।
स्मृति को बनाये रखना ही स्मरणशक्ति है और इसके लिए जरूरी है
सुने हुए व पढ़े हुए विषयों का बार-बार मानना करना, अभ्यास
करना। जो बातें हमारे ध्यान में बराबर आती रहती हैं, उनकी याद
बनी रहती है और जो बातें लम्बे समय तक हमारे ध्यान में नहीं आतीं,
उन्हें हम भूल जाते हैं। विद्यार्थियों को चाहिए कि वे अपने
अभ्यासक्रम (कोर्स) की किताबों को पूरे मनोयोग से
एकाग्रचित्त होकर पढ़ा करें और बारंबार नियमित रूप से दोहराते
भी रहें। फालतू सोच विचार करने से, चिंता करने से, ज्यादा बोलने
से, फालतू बातें करने से, झूठ बोलने से या बहाने बाजी करने से
तथा कार्य के कार्यों में उलझे रहने से स्मरणशक्ति नष्ट होती है।
बुद्धि कहीं बाजार में मिलने वाली चीज नही है, बल्कि अभ्यास
से प्राप्त करने की और बढ़ायी जाने वाली चीज है। इसलिए
आपको भरपूर अभ्यास करके बुद्धि और ज्ञान बढ़ाने में जुटे
रहना होगा।
विद्या, बुद्धि और ज्ञान को जितना खर्च किया जाय
उतना ही ये बढ़ते जाते हैं जबकि धन या अन्य पदार्थ खर्च करने पर
घटते हैं। विद्या की प्राप्ति और बुद्धि के विकास के लिए आप
जितना प्रयत्न करेंगे, अभ्यास करेंगे, उतना ही आपका ज्ञान और
बौद्धिक बल बढ़ता जायगा।
सतत अभ्यास और परिश्रम करने के लिए यह भी जरूरी है
कि आपका दिमाग और शरीर स्वस्थ व ताकतवर बना रहे।
यदि अल्प श्रम में ही आप थक जायेंगे तो पढ़ाई-लिखाई में
ज्यादा समय तक मन नहीं लगेगा। इसलिए निम्न प्रयोग करें।
आवश्यक सामग्रीः शंखावली (शंखपुष्पी) का पंचांग कूट-
पीसकर, छानकर, महीन, चूर्ण करके शीशी में भर लें। बादाम की 2
गिरी और तरबूज, खरबूजा, पतली ककड़ी और
मोटी खीरा ककड़ी इन चारों के बीज 5-5 ग्राम, 2 पिस्ता, 1
छुहारा, 4 इलायची (छोटी), 5 ग्राम सौंफ, 1 चम्मच मक्खन और
एक गिलास दूध लें।
विधिः रात में बादाम, पिस्ता, छुहारा और चारों मगज 1 कप
पानी में डालकर रख दें। प्रातःकाल बादाम का छिलका हटाकर
उन्हें दो बार बूँद पानी के साथ पत्थर पर घिस लें और उस लेप
को कटोरी में ले लें। फिर पिस्ता, इलायची के दाने व छुहारे
को बारीक काट-पीसकर उसमें मिला लें। चारों मगज भी उसमें
ऐसे ही डाल लें। अब इन सबको अच्छी तरह मिलाकर खूब चबा-
चबाकर खा जायें। उसके बाद 3 ग्राम शंखावली का महीन चूर्ण
मक्खन में मिलाकर चाट लें और एक गिलास गुनगुना मीठा दूध 1-1
घूँट करके पी लें। अंत में, थोड़े सौंफ मुँह में डालकर धीरे-धीरे 15-20
मिनट तक चबाते रहें और उनका रस चूसते रहें। चूसने के बाद उन्हें निगल
जायें।
लाभः यह प्रयोग दिमागी ताकत, तरावट और स्मरणशक्ति बढ़ाने
के लिए बेजोड़ है। साथ ही साथ यह शरीर में शक्ति व
स्फूर्ति पैदा करता है। लगातार 40 दिन तक प्रतिदिन सुबह नित्य
कर्मों से निवृत्त होकर खाली पेट इसका सेवन करके आप
चमत्कारिक लाभ देख सकते हैं।
यह प्रयोग करने के दो घंटे बाद भोजन करें। उपरोक्त सभी द्रव्य
पंसारी या कच्ची दवा बेचने वाले की दुकान से इकट्ठे ले आयें और
15-20 मिनट का समय देकर प्रतिदिन तैयार करें। इस प्रयोग
को आप 40 दिन से भी ज्यादा, जब तक चाहें कर सकते हैं।
एक अन्य प्रयोगः एक गाजर और लगभग 50-60 ग्राम
पत्ता गोभी अर्थात् 10-12 पत्ते काटकर प्लेट में रख लें। इस पर
हरा धनिया काटकर डाल दें। फिर उसमें सेंधा नमक, काली मिर्च
का चूर्ण और नींबू का रस मिलाकर खूब चबा चबाकर नाश्ते के रूप
में खाया करें।
भोजन के साथ एक गिलास छाछ भी पिया करें।
सावधानियाँ -
रात को 9 बजे के बाद पढ़ने के लिए जागरण करें तो आधे-आधे घंटे के
अंतर पर आधा गिलास ठंडा पानी पीते रहें। इससे जागरण के कारण
होने वाला वातप्रकोप नहीं होगा। वैसे 11 बजे से पहले
सो जाना ही उचित है।
लेटकर या झुके हुए बैठकर न पढ़ा करें। रीढ़ की हड्डी सीधी रखकर
बैठें। इससे आलस्य या निद्रा का असन नहीं होगा और
स्फूर्ति बनी रहेगी। सुस्ती महसूस हो तो थोड़ी चहलकदमी करें।
नींद भगाने के लिए चाय या सिगरेट का सेवन कदापि न करें।—

कोलेस्ट्रॉल कंट्रोल के कुछ घरेलू तरीके....

कोलेस्ट्रॉल
का बढऩा कोई बड़ी
बीमारी नहीं है लेकिन
यह खामोश खतरा है जो
ब्लड में मौजूद होता है।
यह बढ़कर बीपी दिल
का रोग एवं दिल के दौरे
का कारण बनता है। यह
असमय जानलेवा सिद्ध
होता है। खानपान में
जो वसा मौजूद होती है
वह शरीर के
द्वारा परिवर्तित
होकर कोलेस्ट्रॉल बन
जाती है और ब्लड के
माध्यम से वाहिकाओं एवं
कोशिकाओं में पहुंच
जाती है। आजकल
कोलेस्ट्रॉल, एक
ऐसी समस्या है जो अब आम
बनती जा रही है।
कोलेस्ट्रोल कम करने
का अर्थ है हृदय रोग
का सही उपचार। आईये,
कोलेस्ट्रॉल को कम करने
के कुछ घरेलू नुस्खो पर एक
नजर डालते है।
- कच्ची लहसुन रोज सुबह
खाली पेट खाने से
कोलेस्ट्रॉल कम होता है।
- रोज 50 ग्राम
कच्चा ग्वारपाठा खाली
पेट खाने से खून में
कोलेस्ट्रॉल कम
हो जाता है।
- अंकुरित दालें
भी खानी आरंभ करें।
- सोयाबीन का तेल अवश्य
प्रयोग करें यह
भी उपचार है।
- लहसुन, प्याज, इसके रस
उपयोगी हैं।
- नींबू, आंवला जैसे भी ठीक
लगे, प्रतिदिन लें।
- शराब या कोई नशा मत
करें, बचें।
-इसबगोल के
बीजों का तेल आधा चम्मच
दिन में दो बार।
- दूध पीते हैं तो उसमे
जरा सी दालचीनी डाल
दो, कोलेस्ट्रोल कण्ट्रोल
होगा।
- रात के समय धनिया के
दो चम्मच एक गिलास
पानी में भिगो दें। प्रात:
हिलाकर पानी पी लें।
धनिया भी चबाकर निगल
जाएं।

आप नहाते रोज हैं लेकिन नहीं जानते होंगे नहाने से जुड़ी ये बातें...

अच्छे स्वास्थ्य और सुंदर शरीर के लिए जरूरी है रोज नहाना।
जो लोग प्रतिदिन नहाते हैं उन्हें स्वास्थ्य की दृष्टि से कई लाभ
प्राप्त होते हैं। वैसे तो नहाने के लिए सबसे अच्छा समय सुबह-सुबह
का ही होता है लेकिन कुछ लोग दिन के अन्य समय में भी स्नान
करते हैं।
शास्त्रों में नहाने के समय अनुसार स्नान के कई प्रकार बताए गए
हैं। इसके साथ ही नहाने की एक विशेष विधि भी है। इस विधि से
नहाना बहुत ही लाभदायक होता है। यहां दिए गए फोटो में
जानिए नहाने से जुड़ी खास बातें...
सुबह-सुबह ब्रह्म मुहूर्त में यानि सुबह लगभग 4-5 बजे जो स्नान
भगवान का चिंतन करते हुए किया जाता है उसे ब्रह्म स्नान कहते
हैं। ऐसा स्नान करने वाले को इष्टदेव की विशेष कृपा प्राप्त
होती है और जीवन में दुखों का सामना नहीं करना पड़ता है।
आज के समय में अधिकांश लोग सूर्योदय के बाद ही स्नान करते हैं।
जो लोग सूर्योदय के बाद किसी नदी में स्नान करते हैं या घर पर
ही विभिन्न नदियों के नामों का जप करते हुए स्नान करते हैं
तो उस स्नान को देव स्नान कहा जाता है। ऐसे स्नान से
भी व्यक्ति के जीवन की सभी समस्याएं दूर हो जाती हैं।
यदि कोई व्यक्ति सुबह-सुबह जब आकाश में तारे दिखाई दे रहे
हों और उस समय स्नान करें तो उस स्नान को ऋषि स्नान
कहा जाता है। सामान्यत: जो स्नान सूर्योदय के पूर्व
किया जाता है वह मानव स्नान कहलाता है। सूर्योदय से पूर्व
किए जाने वाले स्नान ही श्रेष्ठ होते हैं।
वर्तमान में काफी लोग सूर्योदय के बाद चाय-नाश्ता करने के
बाद स्नान करते हैं ऐसे स्नान को दानव स्नान कहा जाता है।
शास्त्रों के अनुसार हमें ब्रह्म स्नान, देव स्नान या ऋषि स्नान
करना चाहिए। यही सर्वश्रेष्ठ स्नान हैं।
रात के समय या शाम के समय नहाना नहीं चाहिए। यदि सूर्य
ग्रहण या चंद्र ग्रहण का दिन हो तो उस दिन रात के समय स्नान
किया जा सकता है।
स्नान के पश्चात तेल आदि की मालिश न करें। भीगे कपड़े न पहनें।
नहाने से शरीर स्वच्छ तो होता है साथ ही कई प्रकार
की बीमारियों से निजात मिल जाती है। शास्त्रों के अनुसार
सभी धार्मिक कर्म नहाने के बाद ही किए जाने चाहिए।
बिना नहाए पूजन-पाठ करना वर्जित किया गया है।
हमारी दिनचर्या के सबसे खास कामों में से एक काम
नहाना भी है। इसी वजह से शास्त्रों में नहाने के लिए भी कई
नियम बताए गए हैं।
शास्त्रों के अनुसार प्रात:काल ब्रह्म मुहूर्त में नहाना श्रेष्ठ फल
प्रदान करता है। इसी वजह से हमेशा स्नान सूर्योदय से पहले ही कर
लेना चाहिए।
नहाने के बाद प्रतिदिन सूर्य को जल अर्पित करना चाहिए। सूर्य
को जल चढ़ाने से मान-सम्मान प्राप्ति होती है।
काफी लोग नहाने से पहले शरीर की अच्छी मालिश करते हैं।
मालिश से स्वास्थ्य और त्वचा दोनों को ही लाभ प्राप्त
होता है। त्वचा की चमक बढ़ती है। इस संबंध में यह ध्यान
रखना चाहिए कि मालिश के आधे घंटे बाद शरीर को रगड़-रगड़
कर नहाना चाहिए।
शास्त्रों के अनुसार दिन के सभी आवश्यक कार्यों के लिए अलग-
अलग मंत्र बताए गए हैं। नहाते समय भी हमें मंत्र जप करना चाहिए।
स्नान करते समय किसी स्तोत्र का पाठ किया जा सकता है
या कीर्तन या भजन या भगवान का नाम लिया जा सकता है।
ऐसा करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है।
नहाते समय सबसे पहले सिर पर पानी डालना चाहिए इसके बाद पूरे
शरीर पर। इसके पीछे भी वैज्ञानिक कारण है, इस प्रकार नहाने से
हमारे सिर एवं शरीर के ऊपरी हिस्सों की गर्मी पैरों से निकल
जाती है।

शनिवार, 24 जनवरी 2015

पिम्पल के लिए::

गवारपाठे(एलोवेरा) की ताजा जैल लगाए इसके लिए एलोवेरा के
पत्ते को काट कर, छील कर इसका गुदा निकाल कर मसले और जैल
को सूखने दे और फ़िर दोबारा लगाए
ऐलोवेरा जेल त्वचा संबंधी रोगों में, चोट लगने या जलने पर
काफी लाभदायक है। तेल के छींटे पड़ने या हाथ जलने पर
ऐलोवेरा के पत्ते को पीस कर बनाया गया पेस्ट लगाने पर आराम
मिलता है। जली हुई जगह पर इसे करीब 20 मिनट के लिए लगा रहने
दें, फिर ठंडे पानी से धो लें।
यह अच्छा एंटीसेप्टिक है, चोट लगने पर मरहम का काम करता है।
त्वचा पर चकत्ते पड़ने, मच्छर या कीड़े-मकौड़े के काटने पर
ऐलोवेरा जेल को लगाने से आराम मिलता है।
चोट लगने से या गर्भावस्था के दौरान त्वचा पर पड़ने वाले
निशानों पर ऐलोवेरा जेल रगड़ कर लगाना फायदेमंद है।
रोज 4 औंस ऐलोवेरा रस पीने से विषाक्त पदाथरे से
छुटकारा मिलेगा।
ऐलोवेरा जेल और शहद मिलाकर चेहरे पर मॉस्क की तरह लगाने से
झुर्रियों पर नियंत्रण पाया जा सकता है।
ड्राई स्किन पर ऐलोवेरा जेल मॉश्चराइजर का काम करता है। जेल
में अंडे की जर्दी और 1 टेबलस्पून ऑलिव ऑयल मिला कर पेस्ट
बनाएं। इसे चेहरे पर लगाकर 20 मिनट के लिए सूखने दें। फिर गुनगुने
पानी से चेहरा धो लें।
होंठ फटने पर होने वाले दर्द, जीभ के नीचे छाले की समस्या होने
पर ऐलोवेरा से आराम मिलता है। एक चम्मच ऐलोवेरा जेल में एक
चुटकी नीम पाउडर मिलाकर पेस्ट बनाएं। इसे दर्द वाली जगह पर
दिन में तीन बार लगाएं। इसके रस से कुछ दिन कुल्ला करें। इसके
अलावा दिन में करीब 2 औंस ऐलोवेरा रस पीने से आराम
भी मिलता है।
फटे होंठों की समस्या में ऐलोवेरा जेल के साथ जैतून का तेल
मिलाकर लगाने से आराम मिलता है।
ऐलोवेरा जेल में एंटीवॉयरल गुण होते हैं। रात को सोते समय
ऑखों के आसपास लगाने से संक्रमण, लालिमा और सूजन में लाभ
होता है।
अगर आप ज्यादा वजन से परेशान हैं, तो व्यायाम के साथ रोज 4
औंस ऐलोवेरा रस पीने से फायदा होगा।
पुरानी खांसी, भूख न लगना या सांस लेने में मुश्किल होने
की स्थिति में 40 दिन तक दिन में दो बार एक-एक चम्मच
ऐलोवेरा का रस पिएं, लाभ होगा।
मधुमेह और हृदय रोगों से राहत के लिए रोज 2 चम्मच ऐलोवेरा रस
पिएं। यह कोलेस्ट्रॉल कम करता है। उच्च रक्तचाप और हार्ट
स्ट्रोक पर नियंत्रण रखता है।
बालों के झड़ने या गंजापन, बालों के विकास में रुकावट या दोमुंहे
बाल जैसी समस्याओं का समाधान करने में ऐलोवेरा के तेल
की मालिश असरदार साबित होती है।
ऐलोवेरा रस गठिया, अल्सर, कब्ज, मूत्राशय और गुर्दे के संक्रमण में
राहत पहुंचाता है। जोड़ों में सूजन और अनिद्रा में भी लाभदायक
है। 3 औंस ऐलोवेरा रस रात में सोने के समय पीना फायदेमंद है।
मुंहासे से मिलेगी मुक्ति
चेहरे पर मुंहासे होने पर आधा चम्मच ऐलोवेरा जेल और आधा चम्मच
शहद अच्छी तरह मिलाकर फेसपैक बनाएं। इस फैसपैक
की पतली परत अपने चेहरे पर मास्क की तरह लगा कर 15 मिनट के
लिए छोड़ दें। इसके सूख जाने पर ठंडे पानी से चेहरा धो लें। यह
फैसपैक सप्ताह में दो-तीन बार प्रयोग करें, मुंहासे साफ
हो जाएंगे।
एलोवेरा जूस के उपयोग-
1. करे अंदर से सफाई- हमारे शरीर में भोजन तथा प्रदूषण की वजह
से बहुत सारी गंदगी अंदर जाती है। शरीर अच्छे से काम करे इसलिये
हमें गंदगी से शरीर को मुक्ति दिलानी चाहिये। 3 से 4 चम्मच रस
सुबह खाली पेट लेने से दिन-भर शरीर में चुस्ती व
स्फूर्ति बनी रहती है। साथ ही यह शरीर के अंदर
की गंदगी को बाहर निकाल देता है। एलोवेरा का ज्यूस ब्लड
को प्यूरीफाई करता है साथ ही हीमोग्लोबिन
की कमी को पूरा करता है। शरीर में वहाईट ब्लड सेल्स
की संख्या को बढाता है।
2. एजिंग से बचाए- ऐलो वेरा का जूस शरीर में
प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ाता है। इसमें खूब
सारा एंटी ऑक्सीिडेंट पाया जाता है जो बूढ़ा करने
वाली फ्री रेडिकल्सा को दूर करके इंसान को बुढ़ापे से
बचाता है। जलने पर, अंग कहीं से कटने पर, अंदरूनी चोटों पर
एलोवेरा अपने एंटी बैक्टेरिया और एंटी फंगल गुण के कारण घाव
को जल्दी भरता है।
3. पाचन क्रिया सही करे- ऐलो वेरा जूस पीने से पेट की कई रोग
दूर होते हैं। यह पाचन तंत्रिका को मजबूत बनाता है जिससे कि वह
पेट में जाने वाले आहारों से पौष्टिक तत्वह को ग्रहण कर सकें।
इसके रोजाना उपयोग से अपच और कब्जा जैसी समस्याट भी दूर
रहती है। पेट में पैदा होने वाले अल्सार को भी यह ठीक करता है।
4. दिल की बीमारी और खून का दौरा- यह शरीर में खून बढ़ाने के
साथ ही खून का दौरा भी ठीक करता है। साथ ही यह शरीर में
हाई ब्लाड प्रेशर को सामान्यन करता है, जिससे हार्ट अटैक
की समस्याह नहीं आ पाती है।
अन्यल लाभ - इसके रस में कई तरह के मिनरल, विटामिन और
अमीनो एसिड, जैसे बी12, बी6, बी2, बी1, फोलिक एसिड,
नियासिन, जिंक और मैगनीशियम आदि। इतने सारे पौष्टिक
तत्वोंी के मिश्रण का उपयोग कर के शरीर के हर रोग दूर हो जाते
हैं। यह शरीर से विषैले पदार्थों को बाहर निकाल कर शरीर
की अंदर से सफाई करता है। जिससे त्वंचा में चमक आती है
तथा दाग-धब्बोंन की छुट्टी होती है। इसके अलावा एक्जि्मा,
पिंपल और सिरोसिस की समस्याा दूर होती है। मुंह के रोग दूर
होते हैं। मसूड़ों की तकलीफ और खून आना बंद होता है। साथ
ही मुंह में अल्संर की बीमारी भी ठीक होती है। ऐलो वेरा जूस
पीने से मोटापा भी कंट्रोल होता है और एनर्जी भी आती है।—

ज्यूस थेरेपी: करें इन बड़ी बीमारियों का टेस्टी-टेस्टी इलाज ठंडक के साथ


आयुर्वेद के अनुसार ज्यूस पीकर भी कई बीमारियों को दूर
भगाया जा सकता है।
इसीलिए आयुर्वेद में ज्यूस को बहुत महत्व दिया गया है।
प्राकृतिक चिकित्सा में भी रसाहार को विशेष स्थान प्राप्त
है। इसमें अलग-अलग फलों और सब्जियों का रस दिया जाता है।
करेला जामुन या लौकी के ज्यूस में स्वाद नहीं होता है लेकिन
इनका ज्यूस पीने के बहुत फायदे हैं।
आइए जानते हैं ज्यूस थेरेपी के कुछ स्पेशल राज जिनसे कर सकते हैं
आप इन बीमारियों का इलाज....
खून की कमी- पालक के पत्तों का रस, मौसम्मी, अंगूर, सेब,
टमाटर और गाजर का रस लिया जा सकता है।
भूख की कमी- नींबू, टमाटर का रस लें।
फ्लू और बुखार- मौसम्मी, गाजर, संतरे का रस लेना चाहिए।
एसीडिटी- मौसम्मी, संतरा, नींबू, अनानास का रस लें।
कृमि रोगों में- लहसुन और मूली का रस पेट के कीड़ों को मार
देता हैं।
मुहांसों में- गाजर, तरबूज, और प्याज का रस लें।
पीलिया- गन्ने का रस, मौसम्मी और अंगूर का रस दिन में कई
बार लेना चाहिए।
पथरी- खीरे का रस लें।
मधुमेह- इस रोग में गाजर, करेला, जामुन, टमाटर, पत्तागोभी एवं
पालक का रस लिया जा सकता है।
अल्सर में- गाजर, अंगूर का रस ले सकते हैं। कच्चे नारियल
का पानी भी अल्सर ठीक करता है।
मासिकधर्म की पीड़ा में- अनानास का रस लें।
बदहजमी -अपच में नींबू का रस, अनानास का रस लें, आराम
मिलेगा।
हाइब्लडप्रेशर- गाजर, संतरा, मौसम्मी का रस लें।
लो-ब्लडप्रेशर- अंगूर और सभी मीठे फलों का रस
लिया जा सकता है।

diabetes (मधुमेह या चीनी की बीमारी एक खतरनाक रोग )


भारत में 5 करोड़ 70 लाख से ज्यादा लोगों को डाइबटीज है और
3 करोड़ से ज्यादा
को हो जाएगी अगले कुछ सालों में (सरकार ऐसा कह रही है ) , हर
2 मिनट में एक
आदमी डाइबटीज से मर जाता हैं !
और complications बहुत है !
किसी की किडनी खराब हो रही है ,किसी का लीवर खराब
हो रहा है , किसी को
paralisis हो रहा है किसी को brain stroke
हो रहा है ,किसी को heart attack आ
रहा है ! कुल मिलकर complications
बहुत है diabetes के !!
मधुमेह या चीनी की बीमारी एक खतरनाक रोग है। रक्त ग्लूकोज
(blood sugar level
) स्तर बढा़ हूँआ मिलता है, यह रोग मरीजों के (रक्त मे
गंदा कोलेस्ट्रॉल,) के
अवयव के बढने के कारण होता है। इन मरीजों में आँखों, गुर्दों,
स्नायु,
मस्तिष्क, हृदय के क्षतिग्रस्त होने से इनके गंभीर, जटिल, घातक
रोग का खतरा
बढ़ जाता है।
भोजन पेट में जाकर एक प्रकार के ईंधन में बदलता है जिसे ग्लूकोज
कहते हैं। यह
एक प्रकार की शर्करा होती है। ग्लूकोज हमारे रक्त धारा में
मिलता है और शरीर
की लाखों कोशिकाओं में पहुंचता है। pancreas (अग्न्याशय)
ग्लूकोज उत्पन्न करता
है इनसुलिन भी रक्तधारा में मिलता है और कोशिकाओं तक
जाता है।
मधुमेह बीमारी का असली कारण जब तक आप लोग नही समझेगे
आपकी मधुमेह कभी भी ठीक
नही हो सकती है जब आपके रक्त में वसा (गंदे कोलेस्ट्रोल)LDL
की मात्रा बढ
जाती है तब रक्त में मोजूद कोलेस्ट्रोल कोशिकाओ के
चारों तरफ चिपक जाता है !और
खून में मोजूद जो इन्सुलिन है कोशिकाओं तक नही पहुँच पाता है
(इंसुलिन की
मात्रा तो पर्याप्त होती है किन्तु इससे
द्वारो को खोला नहीं जा सकता है,
अर्थात पूरे ग्लूकोज को ग्रहण कर सकने के लिए
रिसेप्टरों की संख्या कम हो सकती
है)
वो इन्सुलिन शरीर के किसी भी काम में नही आता है जिस
कारण जब हम शुगर level
चैक करते हैं शरीर में हमेशा शुगर का स्तर हमेशा ही बढा हुआ
होता है क्यूंकि
वो कोशिकाओ तक नहीं पहुंची क्योंकि वहाँ (गंदे कोलेस्ट्रोल)
LDL VLDL जमा हुआ
है जबकि जब हम बाहर से इन्सुलिन लेते है तब वो इन्सुलिन नया-
नया होता है तो वह
कोशिकाओं के अन्दर पहुँच जाता है !
अब आप समझ गये होगे कि मधुमेह का रिश्ता कोलेस्ट्रोल से है न
कि शुगर से
जब सम्भोग के समय पति पत्नी आपस में नही बना कर रख पाते है
या सम्भोग के समय
बहुत तकलीफ होती है समझ जाइये मधुमेह हो चूका है या होने
वाला है क्योकि जिस
आदमी को मधुमेह होने वाला हो उसे सम्भोग के समय बहुत तकलीफ
होती है क्योकि
मधुमेह से पहले जो बिमारी आती वो है सेक्स में प्रोब्लम होना,
मधुमेह रोग में
शुरू में तो भूख बहुत लगती है। लेकिन धीरे-धीरे भूख कम हो जाती है।
शरीर सुखने
लगता है, कब्ज की शिकायत रहने लगती है। बार बार बहुत अधिक
प्यास लगती है अधिक
पेशाब आना और पेशाब में चीनी आना शुरू हो जाती है और
रोगी का वजन कम होता जाता
है। शरीर में कहीं भी जख्मध्घाव होने पर वह जल्दी नहीं भरता।
तो ऐसी स्थिति मे हम क्या करें ??
राजीव भाई की एक छोटी सी सलाह है कि आप insulin पर
ज्यादा निर्भर ना रहें !
क्यूंकि ये insulin डाईब्टीज से भी ज्यादा खराब है side effect
इसके बहुत हैं
!! तो आप ये आयुर्वेद की दवा का फार्मूला लिखिये !
और जरूर इस्तेमाल करें !!
100 ग्राम (मेथी का दाना )ले ले इसे धूप मे सूखा कर पत्थर पर पीस
कर इसका
पाउडर बना लें !
100 ग्राम (तेज पत्ता ) लेलें इसे भी धूप मे सूखा कर पत्थर पर पीस
कर इसका
पाउडर बना लें !
150 ग्राम (जामुन की गुठली )लेलें इसे भी धूप मे सूखा कर पत्थर पर
पीस कर इसका
पाउडर बना लें !
250 ग्राम (बेलपत्र के पत्ते ) लेलें इसे भी धूप मे सूखा कर पत्थर पर
पीस कर
इसका पाउडर बना लें !
_________________
तो
मेथी का दना - 100 ग्राम
तेज पत्ता ------- 100 ग्राम
जामुन की गुठली -150 ग्राम
बेलपत्र के पत्ते - 250 ग्राम
तो इन सबका पाउडर बनाकर इन सबको एक दूसरे मे मिला लें ! बस
दवा तैयार है !!
इसे सुबह -शाम (खाली पेट ) 1 से डेड चम्मच से खाना खाने से एक
घण्टा पहले गरम
पानी के साथ लें !!
2 से 3 महीने लगातार इसका सेवन करें !! (सुबह उठे पेट साफ करने के
बाद ले
लीजिये )
कई बार लोगो से सीधा पाउडर लिया नहीं जाता ! तो उसके
लिए क्या करें ??
आधे से आधा गिलास पानी को गर्म करे उसमे पाउडर मिलाकर
अच्छे से हिलाएँ !! वो
सिरप की तरह बन जाएगा ! उसे आप आसानी से एक दम पी सकते
है ! उसके बाद एक आधा
गिलास अकेला गर्म पानी पी लीजिये !!
____________________________
अगर आप इसके साथ एक और काम करे तो सोने पे
सुहागा हो जाएगा ! और ये दवा का असर
बहुत ही जल्दी होगा !! जैसा कि आप जानते है शरीर
की सभी बीमारियाँ वात,पित ,और कफ
के बिगड़ने से होती हैं !! दुनिया मे सिर्फ दो ही ओषधियाँ है
जो इन तीनों
के सतर को बराबर रखती है !!
एक है गौ मूत्र , दूसरी है त्रिफला चूर्ण !!
अब आप ठहरे अँग्रेजी मानसिकता के लोग ! गौ मूत्र का नाम सुनते
ही आपकी नाक चढ़
गई होगी !!
और हमारी मजबूरी ये है कि आपको गौ मूत्र का महत्व
बताना हो तो हमको अमेरिका का
उदाहरण देना पड़ेगा !
क्यूंकि अंग्रेज़ मेकोले के बनाए indian education system मे पढ़ कर
आपकी बुद्धि
ऐसी हो गई है कि
आपको सिर्फ अमेरिका(अंग्रेज़ो ) द्वारा किये गए काम मे
ही विश्वास होता है !
आपको कहीं ना कहीं लगता ये अमरीकी बहुत समझदार जो करते है
सोच समझ के करते हैं
!!
तो खैर आपकी जानकरी के लिए बता दूँ कि अमेरिका ने गौ मूत्र
पर 6 पेटेंट ले लिए
हैं !! उसको इसका महत्व समझ आने लगा है !! और हमारे शास्त्रो मे
करोड़ो वर्षो
पहले से इसका महत्व बताया है ! लेकिन गौ मूत्र का नाम सुनते
हमारी नाक चढ़ती है
खैर जिसको पीना है वो पी सकता है ! गौ मूत्र बिलकुल
ताजा पिये सबसे बढ़िया !!
बाहरी प्रयोग के लिए जितना पुराना उतना अच्छा है लेकिन
पीने के लिए ताजा सबसे
बढ़िया !! हमेशा देशी गाय का ही मूत्र पिये (देशी गाय
की निशानी जिसकी पीठ पर
हम्प होता है ) ! 3 -4 घंटे से अधिक पुराना मूत्र ना पिये !!
और याद रखे गौ मूत्र पीना है अर्क नहीं ! आधे से एक सुबह सुबह कप
पिये ! सारी
बीमारियाँ दूर !
अब बात करते हैं त्रिफला चूर्ण की !
त्रिफला अर्थात तीन फल !
कौन से तीन फल !
1) हरड़ (Terminalia chebula)
2) बहेडा (Terminalia bellirica)
3) आंवला (Emblica officinalis)
एक बात याद रखें इनकी मात्रा हमेशा 1:2:3 होनी चाहिए ! 1
अनुपात 2 अनुपात 3 !
बाजार मे जितने भी त्रिफला चूर्ण मिलते है सब मे
तीनों की मात्रा बराबर होती
है ! बहुत ही कम बीमारियाँ होती है जिसमे त्रिफला बराबर
मात्रा मे लेना चाहिए
!!
इसलिए आप जब त्रिफला चूर्ण बनवाए तो 1 :2 मे ही बनवाए !!
सबसे पहले हरड़ 100 ग्राम , फिर बहेड़ा 200 ग्राम और अंत
आंवला 300 ग्राम !!
इन तीनों को भी एक दूसरे मे मिलकर पाउडर बना लीजिये !! और
रात को एक से डेड
चमच गर्म पानी के साथ प्रयोग करें !!
सीधा पाउडर लिया नहीं जाता ! तो उसके लिए क्या करें ??
आधे से आधा गिलास पानी को गर्म करे उसमे पाउडर मिलाकर
अच्छे से हिलाएँ !! वो
सिरप की तरह बन जाएगा ! उसे आप आसानी से एक दम पी सकते
है ! उसके बाद एक आधा
गिलास अकेला गर्म पानी पी लीजिये !!
सावधानियाँ !!
चीनी का प्रयोग कभी ना करें और जो sugar free
गोलियां का तो सोचे भी नहीं !!
गुड़ खाये , फल खाये ! भगवान की बनाई गई को भी मीठी चीजे
खा सकते हैं !!
रात का खाना सर्यास्त के पूर्व करना होगा !! मतलब सूर्य अस्त के
बाद भोजन ना
करें
ऐसी चीजे ज्यादा खाए जिसमे फाइबर हो रेशे ज्यादा हो, High
Fiber Low Fat Diet
घी तेल वाली डायेट कम हो और फाइबर
वाली ज्यादा हो रेशेदार चीजे ज्यादा खाए।
सब्जिया में बहुत रेशे है वो खाए, डाल जो छिलके
वाली हो वो खाए, मोटा अनाज
ज्यादा खाए, फल ऐसी खाए जिनमे रेशा बहुत है ।
आपने पूरी post पढ़ी बहुत बहुत धन्यवाद !!

नारियल [Coconut ]


यह मूल रूप से प्रशांत महासागरीय द्वीप एवं म्यांमार ,
श्रीलंका एवं अन्य उष्णकटिबंधीय समुद्रतटवर्ती प्रदेशों में
पाया जाता है | भारत में यह विशेषतः केरल , उड़ीसा ,
पश्चिम बंगाल , महाराष्ट्र , गुजरात एवं दक्षिण भारत में सर्वत्र
पाया जाता है | जिस प्रकार देवताओं में श्री गणेश जी प्रथम
प्रतिष्ठित किए गए हैं , ठीक उसी प्रकार फलों में नारियल
का स्थान है | आठ यह श्रीफल कहलाता है | इसका पुष्पकाल एवं
फलकाल वर्षपर्यंत तक होता है |
नारियल के पेड़ समुद्र के किनारे पर उगते हैं | लगभग ७ से ८ साल
बाद इस पर फल लगते हैं | नारियल का फल और पानी खाने-पीने
में शीतल होता है । नारियल में कार्बोहाइड्रेट और खनिज
क्षार काफी मात्रा में पाया जाता है | इसमें विटामिन और
अनेक लाभदायक तत्व मिलते हैं | नारियल के पानी में
मैग्नीशियम और कैल्शियम भी होता है | सूखे नारियल में इन
तत्वों की मात्रा कम होती है |
विभिन्न रोगों में नारियल से उपचार ----
१- नारियल-पानी पीने से उलटी आना और अधिक प्यास
लगना कम हो जाता है |
२- नारियल के पानी में नमक डालकर पीने से पेट के दर्द में आराम
मिलता है |
३-नारियल के तेल की सिर में मालिश करने से
बालों का गिरना बंद हो जाता है |
४-प्रतिदिन नारियल पानी चेहरे पर लगाने से चेहरे के कील-
मुँहासे , दाग- धब्बे और चेचक के निशान दूर हो जाते हैं |
५ -सूखे नारियल को घिसकर बुरादा बना लें , फिर एक कप
पानी में एक चौथाई कप बुरादा भिगो दें | दो घंटे बाद इसे
छानकर नारियल का बुरादा निकालकर पीस लें |
इसकी चटनी-सी बनाकर भिगोए हुए पानी में घोलकर
पी जाएँ | इस प्रकार इसे प्रतिदिन तीन बार पीने से खांसी ,
फेफड़ों के रोगऔर टी.बी. में लाभ होता है।|
६- नारियल के तेल और कपूर को मिलाकर एग्ज़िमा वाले
स्थान पर लगाने से लाभ मिलता है |
७- शरीर के किसी भाग के जलने पर प्रतिदिन उस स्थान पर
नारियल का तेल लगाने से जलन भी शांत होती है
तथा निशान भी नहीं पड़ता है |

भुट्टा से लाभ


भुट्टा जिसे कॉर्न या मकई सेहत के लिए बेहद फायदेमंद है. कई
खतरनाक रोगों से रक्षा तो करता ही है सौन्दर्य
को भी बरकरार रखता है.
बारिश की रिमझिम फुहारों के बीच भुने हुए भुट्टे की महक हर
किसी को भाती है. बरसात के मौसम में भुट्टा जिसे कॉर्न
और मकई भी कहा जाता है, का प्रयोग तरह-तरह के व्यंजन
बनाने में किया जाता है. यह ऐसा अनाज है जो स्वाद के
साथ-साथ सेहत के लिए भी फायदेमंद होता है. मकई
का आटा कोलोन कैंसर के खतरे को कम करता है.
दुरुस्त करता पाचन
कॉर्न में फाइबर यानी भरपूर रेशे होते हैं. ये रेशे भोजन को पचाने
के लिए जरूरी हैं. यह कब्ज और पेट में होने वाले कैंसर
की आशंका को कम करता है.
प्रचुर मात्रा में खनिज
कॉर्न के दानों में भरपूर मिनरल्स पाये जाते हैं.
इसमें आयरन, मैग्नीशियम और कॉपर के अलावा फॉस्फोरस
भी पाया जाता है. ये तत्व हड्डियों के लिए जरूरी है. इन
तत्वों से हड्डियां मजबूत होती हैं. इसका सेवन
किडनी को भी मजबूत करता है.
त्वचा को बनाता है चमकदार
कॉर्न लंबे समय तक त्वचा को कांतिमय रखने में मददगार
होता है. एंटीऑक्सीडेंट्स की प्रचुरता के अलावा इसके तेल में
लिनोलिक एसिड होता है.
एनीमिया से करता है बचाव
मक्के में आयरन होता है. आयरन की कमी से
एनीमिया हो जाता है और इसके कारण लाल रक्त
कणों की संख्या घट जाती है. मक्के में विटामिन-बी और
फोलिक एसिड मौजूद होते हैं जो एनीमिया होने से बचाव
करते हैं.

थाइरॉइड की प्रॉब्लम में अचूक और जबरदस्त है ये नुस्ख

थाइरॉइड हमारे शरीर की कार्यपद्धति मे बहुत महत्वपूर्ण
भूमिका निभाता है। शरीर में होने वाली मेटाबॉलिज्म
क्रियाओं में थाइरॉइड ग्रंथि से निकलने वाले थाइरॉक्सिन
हार्मोन की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। मेटाबालिज्म
क्रियाओं से ये निर्धारित होता है कि शरीर में
बनी ऊर्जा को कब स्टोर किया जाए और कब व कितना यूज
किया जाए। इसीलिए शरीर में उपस्थित थाइरॉइड ग्लैंड में
किसी भी तरह की अनियमितता होने पर पूरे शरीर
की कार्यप्रणाली प्रभावित होती है। इस ग्र्रंथि में
अनियमितता होने पर सामान्यत: हाइपोथाइरॉइडिज्म,
हाइपरथाइरॉइडिज्म, गठान होन या कैंसर होने जैसी समस्याएं
होती है। अगर आपके साथ भी थाइरॉइड
की ग्रंथि की अनियमितता से जुड़ी कोई समस्या हो तो नीचे
लिखे प्राकृतिक उपायों को अपनाएं।
G1-थाइरॉइड में अनियमितता के लक्षण-
हार्मोनल बदलाव- महिलाओं को पीरियड्स के दौरान
थाइरॉइड की स्थिति में पेट में दर्द अधिक रहता है
वहीं हाइपरथाइरॉइड में अनियमित पीरियड्स रहते हैं। थाइरॉइड
की स्थिति में गर्भ धारण करने में भी दिक्कत हो सकती है।
G2-मोटापा- हाइपोथाइरॉइड की स्थिति में अक्सर तेजी से
वजन बढ़ता है। इतना ही नहीं शरीर में कॉलेस्ट्रॉल का स्तर
भी बढ़ जाता है। वहीं हाइपरथाइरॉइड में कॉलेस्ट्रॉल बहुत कम
हो जाता है।
G3-थकान, अवसाद या घबराहट- अगर बिना अधिक मेहनत करने
के बाद भी आप थकान महसूस करते हैं या छोटी-
छोटी बातों पर घबराहट होती है तो इसकी वजह थाइरॉइड
हो सकती है।
G4-मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द- हाइपोथाइरॉडड
यानी शरीर में टीएसएच अधिक और टी3,टी4 कम होने पर
मांसपेशियों में जोड़ों में अक्सर दर्द रहता है।
G5-गर्दन में सूजन- थाइरॉइड बढऩे पर गर्दन में सूजन
की संभावना बढ़ जाती है। गर्दन में सूजन या भारीपन
का एहसास हो तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएं।
G6-बालों और त्वचा की समस्या- खासतौर पर
हाइपोथाइरॉइड की स्थिति में त्वचा में रूखापन,
बालों का झडऩा, भौंहों के बालों का झडऩा जैसी समस्याएं
होती हैं जबकि हाइपरथाइरॉइड में बालों का तेजी से
झडऩा और संवेदनशील त्वचा जैले लक्षण दिखते हैं।
G7-पेट खराब होना- लंबे समय तक कान्सटिपेशन
की समस्या हाइपोथाइरॉइड में होती है
जबकि हाइपरथाइरॉइड में डायरिया की दिक्कत बार-बार
होती है।
G8-अश्वगंधा- अश्वगंधा सबसे चमत्कारी दवा के रू प में कार्य
करता है। अश्वगंधा का सेवन करने से थाइरॉइड
की अनियमितता पर नियंत्रण होता है। साथ ही कैंसर होने
का खतरा बढ़ जाता है। अश्वगंधा के नियमित सेवन से शरीर में
भरपूर ऊर्जा बनी रहती है साथ ही कार्यक्षमता में
भी वृद्धि होती है।
G8+समुद्री घास- समुद्री घास को भी थाइरॉइड
ग्रंथि को नियमित बनाने केेे लिए एक रामबाण दवा की तरह
काम करती है। समुद्री घास के सेवन से शरीर को मिनरल्स व
आयोडिन मिलता है। इसीलिए समुद्री घास का सेेवन इस
बीमारी मेें लाभदायक है। इसकेेे अलावा इससे मिलने वाले
एंटीऑक्सीडें्स स्किन को जवान बनाएं रखते हैं।
G9-नींबूं की पत्तियां- नींबू की पत्तियों का सेवन थाइरॉइड
को नियमित करता हैं। दरअसल मुख्य रूप से इसका सेवन
थाइरॉक्सिन के अत्याधिक मात्रा में बनने पर रोक लगाता है।
इसकी पत्तियों की चाय बनाकर पीना भी इस बीमारी में
रामबाण औषधि का काम करती है।
G10-ग्रीन ओट्स- थाइरॉइड में ग्रीन ओट्स एक नेचुरल
औषधि की तरह कार्य करता है। ये शरीर में
हो रही थाइरॉक्सिन की अधिकता व उसके कारण
हो रही समस्याओं को मिटाता है।

स्वाद भोजन में नहीं भूख में है :-


भूख लगना शरीर की एक स्वाभाविक क्रिया है। अगर भूख अपने
आप लगती है तो किसी भी व्यक्ति को कोई सा भी भोजन
खिला लो उसे सब स्वादिष्ट लगता है। लेकिन इसके विपरीत जब
किसी व्यक्ति को भूख नहीं लगती तो उसके सामने
कितना भी स्वादिष्ट भोजन क्यों न हो उसे
अच्छा नहीं लगता है। अगर भूख न लगने पर भोजन किया जाए तब
व्यक्ति का मन ऐसा करता है कि वह अचार, मुरब्बा, तेज मिर्च-
मसाले, खटाई आदि जैसी चीजे खाएं। जो स्वास्थ्य के लिए
बहुत ज्यादा हानिकारक होते हैं। ऐसी चीजों में स्वाद कुछ
ज्यादा होता है इसलिए व्यक्ति स्वाद-स्वाद में इस तरह
का भोजन ज्यादा खा जाता है। लेकिन इस तरह के भोजन
को खाने से बदहजमी का रोग हो जाता है और भोजन पचाने
की क्रिया खराब हो जाती है।
• आजकल के समय में भोजन को स्वादिष्ट बनाने के लिए उसमें
नकली रंगों, रसायनों आदि का इस्तेमाल ज्यादातर होने
लगा है जो कि किसी भी व्यक्ति के स्वास्थ्य के लिए बहुत
ज्यादा हानिकारक होता है।
• हर व्यक्ति को यह बात जानना बहुत जरूरी है कि उसे
क्या खाना चाहिए, कितना खाना चाहिए, कब
खाना चाहिए और कब नहीं खाना चाहिए।
• प्रकृति ने मनुष्य के शरीर की जरूरतों को पूरा करने के लिए
प्राकृतिक भोजन जैसे फल, सब्जियां, मेवे आदि को खाने के
लिए बनाया है लेकिन फिर भी मनुष्य अपनी आदत से मजबूर
होकर ज्यादातर दूसरी तरह के भोजन पर निर्भर रहता है
जो उसके स्वास्थ्य को लाभ पहुंचाने की बजाय
हानि पहुंचाता है।
• अगर आप एक समय का भोजन कर चुके हो तो दूसरे समय के
भोजन में कम से कम 6 घंटे का अंतर तो रखना ही चाहिए जिससे
भूख अपने आप लगे तो हर तरह का भोजन स्वादिष्ट लगे।
• बाहर के तले-भुने भोजन को छोड़कर अगर हम फल, सलाद
आदि जैसा प्राकृतिक भोजन करने की आदत डालते हैं तो उस
समय भोजन करने में जो मजा आता है उसके सामने हर चीज बेकार
नज़र आती है।

दाद-खाज हो जाएगा जड़ से साफ ---------

स्कीन से जुड़ी बीमारियां भी कई बार गंभीर समस्या बन
जाती है। ऐसी ही एक समस्या है एक्जीमा या दाद पर होने
वाली खुजली और जलन दाद से पीडि़त
व्यक्ति का जीना मुश्किल कर देती है। अगर आपके साथ भी कुछ
ऐसा ही है तो अपनाएं ये आयुर्वेदिक टिप्स
- दाद पर अनार के पत्तों को पीसकर लगाने से लाभ होता है।
- दाद को खुजला कर दिन में चार बार नींबू का रस लगाने से दाद
ठीक हो जाते हैं।
- केले के गुदे में नींबू का रस लगाने से दाद ठीक हो जाता है।
- चर्म रोग में रोज बथुआ उबालकर निचोड़कर इसका रस पीएं और
सब्जी खाएं।
- गाजर का बुरादा बारीक टुकड़े कर लें। इसमें सेंधा नमक डालकर
सेंके और फिर गर्म-गर्म दाद पर डाल दें।
- कच्चे आलू का रस पीएं इससे दाद ठीक हो जाते हैं।
- नींबू के रस में सूखे सिंघाड़े को घिस कर लगाएं। पहले तो कुछ जलन
होगी फिर ठंडक मिल जाएगी, कुछ दिन बाद इसे लगाने से दाद
ठीक हो जाता है।
- हल्दी तीन बार दिन में एक बार रात को सोते समय
हल्दी का लेप करते रहने से दाद ठीक हो जाता है।
- दाद होने पर गर्म पानी में अजवाइन पीसकर लेप करें। एक सप्ताह
में ठीक हो जाएगा।
- अजवाइन को पानी में मिलाकर दाद धोएं।
- दाद में नीम के पत्तों का १२ ग्राम रोज पीना चाहिए।
- दाद होने पर गुलकंद और दूध पीने से फायदा होगा।
- नीम के पत्ती को दही के साथ पीसकर लगाने से दाद जड़ से
साफ हो जाते है।

आयुर्वेद के मुताबिक किस-किस चीज को साथ नहीं खाना चाहिए और क्यों, जानते हैं :


दूध के साथ दही लें या नहीं? दूध और दही दोनों की तासीर
अलग होती है। दही एक खमीर वाली चीज है। दोनों को मिक्स
करने से बिना खमीर वाला खाना (दूध) खराब हो जाता है।
साथ ही, एसिडिटी बढ़ती है और गैस, अपच व
उलटी हो सकती है। इसी तरह दूध के साथ अगर संतरे का जूस लेंगे
तो भी पेट में खमीर बनेगा। अगर दोनों को खाना ही है
तो दोनों के बीच घंटे-डेढ़ घंटे का फर्क होना चाहिए
क्योंकि खाना पचने में कम-से-कम इतनी देर तो लगती ही है।
दूध के साथ तला-भुना और नमकीन खाएं या नहीं? दूध में मिनरल
और विटामिंस के अलावा लैक्टोस शुगर और प्रोटीन होते हैं। दूध
एक एनिमल प्रोटीन है और उसके साथ ज्यादा मिक्सिंग करेंगे
तो रिएक्शन हो सकते हैं। फिर नमक मिलने से मिल्क प्रोटींस
जम जाते हैं और पोषण कम हो जाता है। अगर लंबे समय तक
ऐसा किया जाए तो स्किन की बीमारियां हो सकती हैं।
आयुर्वेद के मुताबिक उलटे गुणों और मिजाज के खाने लंबे वक्त
तक ज्यादा मात्रा में साथ खाए जाएं तो नुकसान पहुंचा सकते
हैं। लेकिन मॉडर्न मेडिकल साइंस ऐसा नहीं मानती।
सोने से पहले दूध पीना चाहिए या नहीं? आयुर्वेद के मुताबिक
नींद शरीर के कफ दोष से प्रभावित होती है। दूध अपने भारीपन,
मिठास और ठंडे मिजाज के कारण कफ प्रवृत्ति को बढ़ाकर
नींद लाने में सहायक होता है। मॉडर्न साइंस में
भी माना जाता है कि दूध नींद लाने में मददगार होता है। इससे
सेरोटोनिन हॉर्मोन भी निकलता है, जो दिमाग को शांत
करने में मदद करता है। वैसे, दूध अपने आप में पूरा आहार है, जिसमें
कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन और कैल्शियम होते हैं। इसे अकेले
पीना ही बेहतर है। साथ में बिस्किट, रस्क, बादाम या ब्रेड ले
सकते हैं, लेकिन भारी खाना खाने से दूध के गुण शरीर में
समा नहीं पाते।
दूध में पत्ती या अदरक आदि मिलाने से सिर्फ स्वाद बढ़ता है,
उसका मिजाज नहीं बदलता। वैसे, टोंड दूध को उबालकर पीना,
खीर बनाकर या दलिया में मिलाकर लेना और भी फायदेमंद है।
बहुत ठंडे या गर्म दूध की बजाय गुनगुना या कमरे के तापमान के
बराबर दूध पीना बेहतर है।
नोट : अक्सर लोग मानते हैं कि सर्जरी या टांके आदि के बाद
दूध नहीं लेना चाहिए क्योंकि इससे पस पड़ सकती है, यह
गलतफहमी है। दूध में मौजूद प्रोटीन शरीर की टूट-फूट
को जल्दी भरने में मदद करते हैं। दूध दिन भर में कभी भी ले सकते हैं।
सोने से कम-से-कम एक घंटे पहले लें। दूध और डिनर में भी एक घंटे
का अंतर रखें।
खाने के साथ छाछ लें या नहीं? छाछ बेहतरीन ड्रिंक
या अडिशनल डाइट है। खाने के साथ इसे लेने से खाने का पाचन
भी अच्छा होता है और शरीर को पोषण
भी ज्यादा मिलता है। यह खुद भी आसानी से पच जाती है।
इसमें अगर एक चुटकी काली मिर्च, जीरा और सेंधा नमक
मिला लिया जाए तो और अच्छा है। इसमें अच्छे
बैक्टीरिया भी होते हैं, जो शरीर के लिए फायदेमंद होते हैं।
मीठी लस्सी पीने से फालतू कैलरी मिलती हैं, इसलिए उससे
बचना चाहिए। छाछ खाने के साथ लेना या बाद में लेना बेहतर
है। पहले लेने से जूस डाइल्यूट हो जाएंगे।
दही और फल एक साथ लें या नहीं? फलों में अलग एंजाइम होते हैं
और दही में अलग। इस कारण वे पच नहीं पाते, इसलिए
दोनों को साथ लेने की सलाह नहीं दी जाती। फ्रूट
रायता कभी-कभार ले सकते हैं, लेकिन बार-बार इसे खाने से
बचना चाहिए।
आयुर्वेद के मुताबिक परांठे या पूरी आदि तली-भुनी चीजों के
साथ दही नहीं खाना चाहिए क्योंकि दही फैट के पाचन में
रुकावट पैदा करता है। इससे फैट्स से मिलनेवाली एनर्जी शरीर
को नहीं मिल पाती।
दूध के साथ फल खाने चाहिए या नहीं? दूध के साथ फल लेते हैं
तो दूध के अंदर का कैल्शियम फलों के कई एंजाइम्स को एड्जॉर्ब
(खुद में समेट लेता है और उनका पोषण शरीर को नहीं मिल
पाता) कर लेता है। संतरा और अनन्नास जैसे खट्टे फल तो दूध के
साथ बिल्कुल नहीं लेने चाहिए। व्रत वगैरह में बहुत से लोग
केला और दूध साथ लेते हैं, जोकि सही नहीं है। केला कफ
बढ़ाता है और दूध भी कफ बढ़ाता है। दोनों को साथ खाने से
कफ बढ़ता है और पाचन पर भी असर पड़ता है। इसी तरह चाय,
कॉफी या कोल्ड ड्रिंक के रूप में खाने के साथ अगर बहुत
सारा कैफीन लिया जाए तो भी शरीर को पूरे पोषक तत्व
नहीं मिल पाते।
मछली के साथ दूध पिएं या नहीं? दही की तासीर ठंडी है। उसे
किसी भी गर्म चीज के साथ नहीं लेना चाहिए।
मछली की तासीर काफी गर्म होती है, इसलिए उसे दही के
साथ नहीं खाना चाहिए। इससे गैस, एलर्जी और स्किन
की बीमारी हो सकती है। दही के अलावा शहद को भी गर्म
चीजों के साथ नहीं खाना चाहिए।
फल खाने के फौरन बाद पानी पी सकते हैं, खासकर तरबूज खाने
के बाद? फल खाने के फौरन बाद पानी पी सकते हैं,
हालांकि दूसरे तरल पदार्थों से बचना चाहिए। असल में फलों में
काफी फाइबर होता है और कैलरी काफी कम होती है। अगर
ज्यादा फाइबर के साथ अच्छा मॉइश्चर यानी पानी भी मिल
जाए तो शरीर में सफाई अच्छी तरह हो जाती है। लेकिन तरबूज
या खरबूज के मामले में यह थ्योरी सही नहीं बैठती क्योंकि ये
काफी फाइबर वाले फल हैं। तरबूज को अकेले और खाली पेट
खाना ही बेहतर है। इसमें पानी काफी ज्यादा होता है,
जो पाचन रसों को डाइल्यूट कर देता है। अगर कोई और चीज
इसके साथ या फौरन बाद/पहले खाई जाए तो उसे
पचाना मुश्किल होता है। इसी तरह, तरबूज के साथ पानी पीने
से लूज-मोशन हो सकते हैं। वैसे तरबूज अपने आप में
काफी अच्छा फल है। यह वजन घटाने के इच्छुक लोगों के
अलावा शुगर और दिल के मरीजों के लिए भी अच्छा है।
खाने के साथ फल नहीं खाने चाहिए। कार्बोहाइड्रेट और
प्रोटींस के पाचन का मिकैनिज्म अलग होता है।
कार्बोहाइड्रेट को पचानेवाला स्लाइवा एंजाइम एल्कलाइन
मीडियम में काम करता है, जबकि नीबू, संतरा, अनन्नास
आदि खट्टे फल एसिडिक होते हैं। दोनों को साथ खाया जाए
तो कार्बोहाइड्रेट या स्टार्च की पाचन
प्रक्रिया धीमी हो जाती है। इससे कब्ज, डायरिया या अपच
हो सकती है। वैसे भी फलों के पाचन में सिर्फ दो घंटे लगते हैं,
जबकि खाने को पचने में चार-पांच घंटे लगते हैं। मॉडर्न मेडिकल
साइंस की राय कुछ और है। उसके मुताबिक, फ्रूट बाहर एसिडिक
होते हैं लेकिन पेट में जाते ही एल्कलाइन हो जाते हैं। वैसे
भी शरीर में जाकर सभी चीजें कार्बोहाइड्रेट, फैट, प्रोटीन
आदि में बदल जाती हैं, इसलिए मॉडर्न मेडिकल साइंस तरह-तरह
के फलों को मिलाकर खाने की सलाह देता है।
मीठे फल और खट्टे फल एक साथ न खाएं आयुर्वेद के मुताबिक,
संतरा और केला एक साथ नहीं खाना चाहिए क्योंकि खट्टे फल
मीठे फलों से निकलनेवाली शुगर में रुकावट पैदा करते हैं, जिससे
पाचन में दिक्कत हो सकती है। साथ ही,
फलों की पौष्टिकता भी कम हो सकती है। मॉडर्न मेडिकल
साइंस इससे इत्तफाक नहीं रखती।
खाने के साथ पानी पिएं या नहीं? पानी बेहतरीन पेय है, लेकिन
खाने के साथ पानी पीने से बचना चाहिए। खाना लंबे समय तक
पेट में रहेगा तो शरीर को पोषण ज्यादा मिलेगा। अगर
पानी ज्यादा लेंगे तो खाना फौरन नीचे चला जाएगा। अगर
पीना ही है तो थोड़ा पिएं और गुनगुना या नॉर्मल
पानी पिएं। बहुत ठंडा पानी पीने से बचना चाहिए। पानी में
अजवाइन या जीरा डालकर उबाल लें। यह खाना पचाने में मदद
करता है। खाने से आधा घंटा पहले या एक घंटा बाद गिलास भर
पानी पीना अच्छा है।
लहसुन या प्याज खाने चाहिए या नहीं? लहसुन और प्याज
को रोजाना के खाने में शामिल किया जाना चाहिए। लहसुन
फैट कम करता है और बैड कॉलेस्ट्रॉल (एलडीएल) घटाकर गुड
कॉलेस्ट्रॉल (एचडीएल) बढ़ाता है। इसमें एंटी-बॉडीज और
एंटी-ऑक्सिडेंट गुण होते हैं। प्याज से भूख बढ़ती है और यह खून
की नलियों के आसपास फैट जमा होने से रोकता है। लंबे समय
तक इसके इस्तेमाल से सर्दी-जुकाम और सांस
संबंधी एलर्जी का मुकाबला अच्छे से किया जा सकता है।
लहसुन और प्याज कच्चा या भूनकर, दोनों तरह से खा सकते हैं।
लेकिन लहसुन कच्चा खाना बेहतर है। कच्चे लहसुन को निगलें
नहीं, चबाकर खाएं क्योंकि कच्चा लहसुन कई बार पच
नहीं पाता। साथ ही, उसमें कई ऐसे तेल होते हैं, जो चबाने पर
ही निकलते हैं और उनका फायदा शरीर को मिलता है।
परांठे के साथ दही खाएं या नहीं? आयुर्वेद के मुताबिक परांठे
या पूरी आदि तली-भुनी चीजों के साथ
दही नहीं खाना चाहिए क्योंकि दही फैट के पाचन में रुकावट
पैदा करता है। इससे फैट्स से मिलनेवाली एनजीर् शरीर
को नहीं मिल पाती। दही खाना ही है तो उसमें काली मिर्च,
सेंधा नमक या आंवला पाउडर मिला लें। हालांकि रोटी के
साथ दही खाने में कोई परहेज नहीं है। मॉडर्न साइंस कहता है
कि दही में गुड बैक्टीरिया होते हैं, जोकि खाना पचाने में मदद
करते हैं इसलिए दही जरूर खाना चाहिए।
फैट और प्रोटीन एक साथ खाएं या नहीं? घी, मक्खन, तेल
आदि फैट्स को पनीर, अंडा, मीट जैसे भारी प्रोटींस के साथ
ज्यादा नहीं खाना चाहिए क्योंकि दो तरह के खाने अगर एक
साथ खाए जाएं, तो वे एक-दूसरे की पाचन प्रक्रिया में दखल देते
हैं। इससे पेट में दर्द या पाचन में गड़बड़ी हो सकती है।
दूध, ब्रेड और बटर एक साथ लें या नहीं? दूध को अकेले
लेना ही बेहतर है। तब शरीर को इसका फायदा ज्यादा होता है।
आयुर्वेद के मुताबिक प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट और फैट
की ज्यादा मात्रा एक साथ नहीं लेनी चाहिए
क्योंकि तीनों एक-दूसरे के पचने में रुकावट पैदा कर सकते हैं और
पेट में भारीपन हो सकता है। मॉडर्न साइंस इसे
सही नहीं मानता। उसके मुताबिक यह सबसे अच्छे नाश्तों में से है
क्योंकि यह अपनेआप में पूरा है।
तरह-तरह की डिश एक साथ खाएं या नहीं? एक बार के खाने में
बहुत ज्यादा वैरायटी नहीं होनी चाहिए। एक ही थाली में
सब्जी, नॉन-वेज, मीठा, चावल, अचार आदि सभी कुछ खा लेने
से पेट में खलबली मचती है। रोज के लिए फुल
वैरायटी की थाली वाला कॉन्सेप्ट अच्छा नहीं है। कभी-
कभार ऐसा चल जाता है।
खाने के बाद मीठा खाएं या नहीं? मीठा अगर खाने से पहले
खाया जाए तो बेहतर है क्योंकि तब न सिर्फ यह आसानी से
पचता है, बल्कि शरीर को फायदा भी ज्यादा होता है। खाने
के बाद में मीठा खाने से प्रोटीन और फैट का पाचन
मंदा होता है। शरीर में शुगर सबसे पहले पचता है, प्रोटीन उसके
बाद और फैट सबसे बाद में।
खाने के बाद चाय पिएं या नहीं? खाने के बाद चाय पीने से कई
फायदा नहीं है। यह गलत धारणा है कि खाने के बाद चाय पीने
से पाचन बढ़ता है। हालांकि ग्रीन टी, डाइजेस्टिव टी,
कहवा या सौंफ, दालचीनी, अदरक आदि की बिना दूध
की चाय पी सकते हैं।
छोले-भठूरे या पिज्जा/बर्गर के साथ कोल्ड ड्रिंक्स लें
या नहीं? कोल्ड ड्रिंक में मौजूद एसिड की मात्रा और
ज्यादा शुगर फास्ट फूड (पिज्जा, बर्गर, फ्रेंच फ्राइस आदि) में
मौजूद फैट के साथ अच्छा नहीं माना जाता। तला-
भुना खाना एसिडिक होता है और शुगर भी एसिडिक
होती है। ऐसे में दोनों को एक साथ लेना सही नहीं है। साथ
ही बहुत गर्म और ठंडा एक साथ नहीं खाना चाहिए। गर्मागर्म
भठूरे या बर्गर के साथ ठंडा कोल्ड ड्रिंक पीना शरीर के
तापमान को खराब करता है। स्नैक्स में मौजूद फैटी एसिड्स शुगर
का पाचन भी खराब करते हैं। फास्ट फूड या तली-
भुनी चीजों के साथ कोल्ड ड्रिंक के बजाय जूस, नीबू-
पानी या छाछ ले सकते हैं। जूस में मौजूद विटामिन-सी खाने
को पचाने में मदद करता है।
भारी काबोर्हाइड्रेट्स के साथ भारी प्रोटीन खाएं या नहीं?
मीट, अंडे, पनीर, नट्स जैसे प्रोटीन ब्रेड, दाल, आलू जैसे
भारी कार्बोहाइड्रेट्स के साथ न खाएं। दरअसल, हाई प्रोटीन
को पचाने के लिए जो एंजाइम चाहिए, अगर वे एक्टिवेट होते हैं
तो वे हाई कार्बो को पचाने वाले एंजाइम को रोक देते हैं। ऐसे में
दोनों का पाचन एक साथ नहीं हो पाता। अगर लगातार इन्हें
साथ खाएं तो कब्ज की शिकायत हो सकती है।

गर्म पानी के फायदे

♍अगर आप स्किन प्रॉब्लम्स से परेशान हैं या ग्लोइंग स्किन के
लिए तरह-तरह के कॉस्मेटिक्स यूज करके थक चूके हैं तो रोजाना एक
गिलास गर्म पानी पीना शुरू कर दें। आपकी स्किन प्रॉब्लम
फ्री हो जाएगी व ग्लो करने लगेगी।
♍गर्म पानी पीने से शरीर के विषैले तत्व बाहर हो जाते हैं। सुबह
खाली पेट व रात्रि को खाने के बाद पानी पीने से पाचन
संबंधी दिक्कते खत्म हो जाती है व कब्ज और गैस जैसी समस्याएं
परेशान नहीं करती हैं।
♍भूख बढ़ाने में भी एक गिलास गर्म पानी बहुत उपयोगी है। एक
गिलास गर्म पानी में एक नींबू का रस और काली मिर्च व नमक
डालकर पीएं। इससे पेट का भारीपन कुछ ही समय में दूर
हो जाएगा।
♍खाली पेट गर्म पानी पीने से मूत्र से संबंधित रोग दूर हो जाते
हैं। दिल की जलन कम हो जाती है। वात से उत्पन्न रोगों में गर्म
पानी अमृत समान फायदेमंद हैं।
♍गर्म पानी के नियमित सेवन से ब्लड सर्कुलेशन भी तेज होता है।
दरअसल गर्म पानी पीने से शरीर का तापमान बढ़ता है। पसीने के
माध्यम से शरीर की सारे जहरीले तत्व बाहर हो जाते हैं।
♍बुखार में प्यास लगने पर मरीज
को ठंडा पानी नहीं पीना चाहिए। गर्म
पानी ही पीना चाहिए बुखार में गर्म पानी अधिक लाभदायक
होता है।
♍यदि शरीर के किसी हिस्से में गैस के कारण दर्द
हो रहा हो तो एक गिलास गर्म पानी पीने से गैस बाहर
हो जाती है।
♍अधिकांश पेट की बीमारियां दूषित जल से होती हैं
यदि पानी को गर्म कर फिर ठंडा कर पीया जाए तो जो पेट
की कई अधिकांश बीमारियां पनपने ही नहीं पाएंगी।
♍गर्म पानी पीना बहुत उपयोगी रहता है इससे शक्ति का संचार
होता है। इससे कफ और सर्दी संबंधी रोग बहुत जल्दी दूर हो जाते हैं।
♍दमा ,हिचकी ,खराश आदि रोगों में और तले भुने पदार्थों के
सेवन के बाद गर्म पानी पीना बहुत लाभदायक होता है।
♍सुबह खाली पेट एक गिलास गर्म पानी में एक नींबू मिलाकर
पीने से शरीर को विटामिन सी मिलता है। गर्म पानी व नींबू
का कॉम्बिनेशन शरीर के प्रतिरक्षा तंत्र को मजबूत करता है।
साथ ही पी.एच. का स्तर भी सही बना रहता है।
♍रोजाना एक गिलास गर्म पानी सिर के सेल्स के लिए एक गजब
के टॉनिक का काम करता है। सिर के स्केल्प को हाइड्रेट करता है
जिससे स्केल्प ड्राय होने की प्रॉब्लम खत्म हो जाती है।
♍वजन घटाने में भी गर्म पानी बहुत मददगार होता है। खाने के एक
घंटे बाद गर्म पानी पीने से मेटॉबालिम्म बढ़ता है। यदि गर्म
पानी में थोड़ा नींबू व कुछ बूंदे शहद की मिला ली जाएं तो इससे
बॉडी स्लिम हो जाती है।
♍हमेशा जवान दिखते रहने की चाहत रखने वाले लोगों के लिए
गर्म पानी एक बेहतरीन औषधि का काम करता है।.

सर्दी के मौसम के खान-पान में गुड़ का अपना महत्व है।


सर्दी के मौसम के खान-पान में गुड़ का अपना महत्व है। यह
स्वास्थ्य के लिए लाभप्रद होने के साथ ही स्वादिष्ट
भी होता है। सर्दियों में गुड़ से बनाई गई खास सामग्री बच्चों और
बुजुर्गों सबको अच्छी लगती है। इस मौसम में गुड़ का नियमित सेवन
करने से सर्दी से होने वाले रोगों से बचा जा सकता है। आयुर्वेद
संहिता के अनुसार यह शीघ्र पचने वाला, खून बढ़ाने वाला व भूख
बढ़ाने वाला होता है। इसके अतिरिक्त गुड़ से बनी चीजों के खाने
से इन बीमारियों में राहत मिलती हैः
1- गुड़ और काले तिल के लड्डू खाने से सर्दी में अस्थमा परेशान
नहीं करता है।
2- भोजन के बाद गुड़ खा लेने से पेट में गैस नहीं बनती है।
3- जुकाम जम गया हो तो गुड़ पिघलाकर उसकी पपड़ी बनाकर
खिलाएं।
4- गुड़ के साथ पकाए चावल खाने से बैठा हुआ गला व आवाज खुल
जाती है।

शुक्रवार, 23 जनवरी 2015

मुल्तानी मिट्टी के चमत्कारीक लाभ --


- हमारे शरीर के पांच तत्वों में एक है मिटटी.
मुल्तानी मिटटी प्रयोग के लिए श्रेष्ठ मानी जाती है.यह
पाकिस्तान के इलाके मुल्तान में बहुतायत से पायी जाती है. यह
हलके पीले रंग की एकदम चिकनी होती है और ढेले के रूप में
मिलती है. इसमें सिलिका कम और लाइम स्टोन ज्यादा रहता है.
उत्तर भारत में तो वाकई में यह सस्ते में आसानी से मिल जाती है.
अयूर आदि कंपनिया इसे पैकेट बनाकर बेचती हैं. अगर इसे कूट कर
हल्दी के साथ मिलकर प्रयोग किया जाए तो झाइयां व् मुहांसे दूर
होते हैं और त्वचा कांतिमय बन जाती है.
- रोज रोज साबुन लगाने से शरीर के मित्र जीवाणु नष्ट हो जाते
है ,साथ ही देह की कुदरती मानुष गंध -फेरोमोंन
का भी सफाया हो जाता है ; जो लोगों में परस्पर जैव
रासायनिक संचार का एक बहुत ही महत्वपूर्ण जरिया होता है .
मनुष्य के पारस्परिक व्यवहार ,आक्रामकता ,प्रेम सबंध आदि के
निर्धारण /नियमन में फेरोमोंन की बड़ी भूमिका है . इसलिए
कुदरती मुल्तानी मिटटी से स्नान करें, जो मित्र कीटाणु और
शरीर की गंध दोनों बचाती है.
- गर्मियों में होने वाली घमौरियों के उपचार में
मुल्तानी मिट्टी अचूक औषधि है।
- शरीर पर इसका पतला-पतला लेप खून की गर्मी को कम
करता है। तेज बुखार में तापमान तुरंत नीचे लाने के लिये सारे शरीर
पर इसका मोटा-मोटा लेप करना चाहिए।
- अगर आप महंगे-महंगे ब्यूटी प्रोडक्ट, शैम्पू, ऑलिव ऑयल
का इस्तेमाल करते हुए थक चुकी हैं, फिर भी आपको कोई
फ़ायदा नहीं हुआ है तो एक बार मुल्तानी मिट्टी ज़रूर इस्तेमाल
करके देखें।
- ये नेचुरल कंडीशनर भी है और ब्लीच भी। ये सौन्दर्य निखारने
का सबसे सस्ता और आयुर्वेदिक नुस्खा है।
- मुल्तानी मिट्टी सभी फेस पैक का बेस होती है। चेहरे पर
मुल्तानी मिट्टी का लेप लगाने से रंगत निखरती है।
- बालों में लगाने से वे घने, मुलायम और काले हो जाते हैं। -
मुहांसों की समस्या से परेशान लोगों के लिए
तो मुल्तानी मिट्टी सबसे कारगर इलाज है,
क्योंकि मुल्तानी मिट्टी चेहरे का तेल सोख लेती है, जिससे
मुहांसे सूख जाते हैं।
- मुंहासों के दाग़ घटाने लिए मुल्तानी मिट्टी में नीम
की पत्तियों को पीसकर पेस्ट बना लें और चेहरे के दाग-धब्बों पर
लगाएं। 15 दिनों में ही असर दिखेगा।
- धूप में झुलसी त्वचा को ठीक करने के लिए
मुल्तानी मिट्टी को गुलाब जल या टमाटर के रस में मिला कर
लगाएं।
- मुल्तानी मिट्टी में, सूखे संतरे के छिलकों का पाउडर, जई
का आटा मिलाकर चेहरे और गर्दन पर लगाएं। इस पैक को रोज़
लगाने से रोम छिद्र साफ होते हैं और मुंहासे नहीं होते।
- मुल्तानी मिटटी को खट्टे छाछ में घोल कर उससे बाल धोने से
रूखापन गायब हो जाएगा और बालों में चमक आ जायेगी.
- 100 ग्राम मुल्तानी मिट्टी को एक कटोरे पानी में भिगो दें।
दो घन्टे बाद जब मुल्तानी मिट्टी पूरी तरह घुल जाये तो इस घोल
को सूखे बालों में लगा कर हल्के हाथ से बालों को रगड़े। पाँच
मिनट तक ऐसा ही करें।अगर बालों मे ज्यादा गंदगी मौजूद है,
तो इस क्रिया को दोबारा फिर करें। हफ्ते में दो बार इस
क्रिया को करने से बालों में बहुत ज्यादा निखार आ जाता है।
बाल लम्बे, रेशमी और मुलायम हो जाते हैं। इस क्रिया को करने के
बाद सिर में हल्केपन के साथ शीतलता का अहसास होता है।
ऐसी शीतलता किसी भी शैम्पू में नहीं मिल सकती है।
- रोजाना मुल्तानी मिट्टी से बाल धोने पर बाल झडना कम
हो जाएंगे।
- धूप में त्वचा की रंगत काली होने पर इसमें सुधार के लिए
मुल्तानी मिट्टी का इस्तेमाल एंटी टैनिंग एजेंट के तौर पर करें।
मुल्तानी मिट्टी का लेप न सिर्फ त्वचा को राहत पहुंचाता है,
बल्कि टैन हुई त्वचा को साफ बनाता है।
- आधा चम्मच संतरे का रस लेकर उसमें 4-5 बूंद नींबू का रस,
आधा चम्मच मुल्तानी मिट्टी, आधा चम्मच चंदन पाउडर और कुछ
बूंदें गुलाब जल की मिलाकर कर थोड़ी देर के लिए फ्रिज में रख दें।
फिर इसे लगा कर 15-20 मिनट तक रखें। इसके बाद पानी से इसे
धो दें। यह ऑयली त्वचा का सबसे अच्छा उपाय है।
- तैलीय त्वचा के लिए मुल्तानी मिट्टी में दही और पुदीने
की पत्तियों का पाउडर मिला कर उसे आधे घंटे तक रखा रहने दें,
फिर अच्छे से मिला कर चेहरे और गर्दन पर लगाएं। सूखने पर हल्के गर्म
पानी से धो दें। ये तैलीय त्वचा को चिकनाई रहित रखने
का कारगर नुस्खा है।
- अगर आपकी त्वचा ड्राई है तो काजू को रात भर दूध में भिगो दें
और सुबह बारीक पीसकर इसमें मुल्तानी मिट्टी और शहद की कुछ
बूंदें मिलाकर स्क्रब करें।
- रूखी त्वचा पर मुल्तानी मिट्टी में चन्दन पाउडर या कैलामाइन
पाउडर मिला कर लगाएं, इससे चेहरे की नमी बनी रहेगी।
- बडे से बडे फोडे़ पर मिट्टी की पट्टी चढ़ाने से, विद्रावक
शक्ति के कारण वह उसे पकाकर निचोड़ देती है एवं घाव भी बहुत
जल्दी भर देती है ।
- मिट्टी मे विष को शोषित करने की विलक्षण शक्ति होती है ।
सांप,बिच्छू, कैंसर तक के जहर को खींचकर(सोखकर) कुछ
ही दिनों में ठीक कर देती है ।

बुधवार, 21 जनवरी 2015

आंवला खाएं, स्वस्थ रहे।

आंवले गुणों का खजाना है और यह हार्ट व डाइजेस्टिव सिस्टम
लेकर खूबसूरती तक को निखारता है।
जानते हैं, इसकी खूबियों के बारे में।
-अगर आप अपनी आईसाइट इंप्रूव करना चाहते हैं, तो आंवले के जूस में
शहद मिलाकर पीएं। यह मोतियाबिंद की परेशानी में
भी फायदेमंद रहता है।
-आंवले में क्रोमियम काफी मात्रा में होता है, जो डायबिटीज
के मरीजों के लिए फायदेमंद है। दरअसल, क्रोमियम इंसुलिन बनाने
वाले सेल्स को ऐक्टिवेट करता है और इस हॉर्मोन का काम शरीर
में ब्लड शुगर को कंट्रोल करना होता है।
-दिल को सेहतमंद रखने के लिए रोजा आंवला खाने की आदत
डालें। इससे आपके दिल की मांसपेशियां मजबूत होंगी, जिससे
दिल शरीर को ज्यादा व साफ खून सप्लाई कर पाएगा। बेशक इससे
आप सेहतमंद रहेंगे।
-आंवले में एंटि-बैक्टीरियल क्वॉलिटीज होती हैं,
जो बॉडी की इम्युनिटी पावर बढ़ाकर उसे इंफेक्शंस से लड़ने
की स्ट्रेंथ देती हैं।
-अगर आपका पेट खराब है, तो आंवला खाएं। दरअसल, लेक्सेटिव
क्वॉलिटीज की वजह से यह डायरिया जैसी परेशानियों को दूर
करने में बहुत फायदेमंद है।
-आंवले को कई हेयर प्रॉडक्ट्स में भी डाला जाता है। दरअसल,
देखने में आया है कि आंवला बालों को मजबूत बनाता है,
इनकी जड़ों को स्ट्रॉन्ग करता है और
बालों का झड़ना भी काफी हद तक रोकता है।
-एक रिसर्च से पता चला है कि खाना खाने से पहले आंवले
का पाउडर, शहद और मक्खन मिलाकर खाने से भूख
अच्छी लगती है।
-आवंले में विटामिन सी, कैल्शियम, फास्फोरस, आयरन और
विटामिन बी बहुत होते हैं। इसलिए इसे अपनी डाइट में शामिल
करना एक हेल्दी ऑप्शन है।
-आंवला खाने को अच्छी तरह पचाने में मदद करता है, जिससे
आपको खाने के तमाम न्यूट्रिएंट्स मिलते हैं।
।। हरि ॐ 

सेब:

सेब में एंटीऑक्सीडेंट्स और विटामिन सी प्रचुर मात्रा में
होता है।
लेकिन गूदे से पांच गुना ज्यादा एंटीऑक्सीडेंट इसके छिलके में
होता है।
जर्नल ऑफ एग्रीकल्चर एंड फूड कैमिस्ट्री के शोधकर्ताओं ने
पाया कि इसके
छिलकों में एंटी डिजीज व एंटी कैंसर जैसे गुण होते हैं। इसलिए सेब
को
छिलके समेत ही खाएं
केला: केले का छिलका अगर गलत जगह फेंक दिया जाए और उस पर
किसी का पांव
पड़ जाएं तो यह खतरनाक हो सकता है। वावजूद इसके इस छिलके में
कई गुण
मौजूद है।
ताईवान के वैज्ञानिकों ने अध्ययन में पाया कि केले
का छिलका डिप्रेशन से
मुकाबला करता है। इसलिए कच्चे केले की सब्जी बनाते समय
छिलका न हटाएं।
अनार: जिन महिलाओं को अधिक मासिक स्राव होता है, वे
अनार के सूखे छिलकों
को पीसकर एक चम्मच पानी के साथ लें। इससे रक्तस्राव कम
होगा।
बवासीर की शिकायत हो तो अनार के छिलकों को कूटकर इसके
पाउडर को गुड़ मे
मिलकार बारीक-बारीक गोलियां बना लें। कुछ दिन तक
इनका प्रयोग करें, आराम
मिलेगा।
अंगूर और बेरी: अमरीकी वैज्ञानिक व कैमिस्ट वालेस
एच.योकोयामा ने अध्ययन
में पाया कि अंगूर और बेरी के छिलकों में कोलेस्ट्रॉल घटाने
की क्षमता
होती है। अमरूद के छिलकों में एंटीऑक्सीडेंट गूदे से
कहीं ज्यादा होते
हैं। इसलिए अंगूर या बेरी का जूस बनाने की बजाय इन्हें साबुत
ही खाना
चाहिए।
सब्जियां: सब्जियां बनाने से पहले उनके छिलके हटा देते है। जिससे
इन
सब्जियों के अधिकतर पोषक तत्व तो छिलको में ही चले जाते है।
छिलके सहित
सब्जियां खाने से कब्ज व डायबिटीज कंट्रोल होती है

(खांसी और जुकाम से बचने के लिए)

सर्दियां शूरू हो चुकी हैं और हर बार की तरह अपने साथ
सर्दी-जुकाम लेकर आई हैं। आजकल हर जगह लोग
आपको छिंकते या खांसी करते नज़र आ जाएंगे। ऐसे में
जरूरी है अपने आपको सुरक्षित रखा जाए। अगर
आपको सर्दी हो गई है तो परेशान न हों। आज हम आपके
लिए 15 ऐसे घरेलू उपाय लेकर आएं हैं। जिन्हें अपनाकर
आपको सर्दी जुकाम से कुछ ही दिनों में राहत मिल
जाएगी।
1. थोडा अदरक, अजवाइन 1 चम्मच, लौंग 5, काली मिर्च
3, मैथी 1 चम्मच, तुलसी और पुदीना पत्ती 10 प्रत्येक इन
सबका काढा बनाकर, अवशक्ता अनुसार
खांडसारी मिलाकर दिन में दो बार आराम होने तक
लेना चाहिए।
2. बेसन का हलुवा गाय के घी में बना कर लेने से सर्दी-
जुकाम में आराम मिलता है।
3. अदरक के टुकडों का काढा 20 मिली से 30 मिली दिन
में तीन बार लेने से सर्दी से आराम मिलता है।
4. यदि नाक बंद है तो दालचीनी, कालीमिर्च,
इलायची और जीरे को बराबर मात्रा में लेकर एक सूती कपड़ें
में बांध लें औऱ इन्हें बार-बार सूंघें। इससे छींक आएगी और बंद
नाक खुल जाएगी।
5. 10 ग्राम लहसुन को 1 कप दूध में 1/2 कप होने तक उबालें।
इसे शाम को सोते समय या नाश्ते के पहले लें।
6. सर्दी जुकाम में तुलसी बहुत कारगर है। इसीलिए तुलसी के
पत्तों को पानी में उबाल कर काढ़ा बनाकर पीएं
7. काली मिर्च जलाकर उसका धुआं सूंघने से बंद नाक
खुलती है।
8. भिंडी का 50 मिली काढा दिन में तीन बार लेने से गले
की खराश और सूखी खांसी में आराम मिलता है।
9. खजूर को दूध के साथ उबाल कर पीएं, इससे ठंड में राहत
मिलती है।
10. एक गिलास गरम पानी में चुटकीभर नमक, चुटकीभर
खाने का सोडा मिलाकर दिन में दो बार तथा सोते समय
गरारे करने से गले की खराश में आराम मिलता है।
11. हल्दी और सौंठ के चूर्ण का लेप बनाकर कपाल पर
लगाएं।
12. एक गिलास गरम पानी में नींबू के रस के साथ एक चम्मच
शहद मिलाकर पीएं। इससे शरीर की प्रतिरोधक
क्षमता बढ़ेगी और सर्दी-जुकाम नहीं होंगे।
13. 1 चम्मच प्याज का रस बराबर मात्रा में शहद मिलाकर
दिन में तीन बार लें।
14. शहद के साथ अदरक का सेवन सुबह-शाम करने से सर्दी-
जुकाम में जल्दी आराम मिलता है।
15. गरम दूध में एक चम्मच हल्दी डालकर पीने से, कफ हट
जाता है और जुकाम मे राहत मिलती है।

ऐसे खाएं त्रिफला तो कभी चश्मा नहीं चढ़ेगा और बाल भी सफेद नहीं होंगे

कमजोरी के कारण शरीर बीमारियों का शिकार हो जाता है।
लेकिन यदि हम थोड़ी सी सावधानी बरतकर और आयुर्वेद
को अपनाए तो अपने स्वास्थ्य की सही तरह से देखभाल कर
ही पाएंगे। साथ ही शरीर का कायाकल्प भी करने में
आसानी होगी। त्रिफला ऐसी ही आयुर्वेदिक औषधी है
जो शरीर का कायाकल्प कर सकती है। त्रिफला के सेवन से बहुत
फायदे हैं। स्वस्थ रहने के लिए त्रिफला चूर्ण महत्वपूर्ण है।
त्रिफला सिर्फ कब्ज दूर करने ही नहीं बल्कि कमजोर शरीर
को एनर्जी देने में भी प्रयोग हो सकता है।
विधि- सूखा देसी आंवला, बड़ी हर्रे व बहेड़ा लेकर गुठली निकाल
दें। तीनों समभाग मिलाकर महीन पीस लें। कपड़छान कर कांच
की शीशी में भरकर रखें।
- त्रिफला के नियमित सेवन से कमजोरी दूर होती है।
- त्रिफला के नियमित सेवन से लंबे समय तक रोगों से दूर
रहा जा सकता है।
- त्रिफला और इसका चूर्ण तीनों दोषों यानी वात,पित्त व कफ
को दूर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
- बालों के खराब होने और समय से पूर्व सफेद होने से
भी त्रिफला के सेवन से बचा जा सकता है।
- गाय व शहद के मिश्रण में (घी अधिक व शहद कम) के साथ
त्रिफला चूर्ण का सेवन आंखों के लिए वरदानस्वरूप है। संयम के साथ
इसका नियमित प्रयोग करने से आंखों के सारे रोग दूर हो जाते हैं।
बुढ़ापे तक चश्मा नहीं लगेगा।
-त्रिफला के काढ़े से घाव धोने से एलोपैथिक एंटिसेप्टिक
की आवश्यकता नहीं रहती। घाव जल्दी भर जाता है।
- त्रिफला के गुनगुने काढ़े में शहद मिलाकर पीने से मोटापा कम
होता है।
- रात को गुनगुने पानी के साथ त्रिफला लेने से कब्जियत
नहीं रहती।
- सुबह के समय तरोताजा होकर खाली पेट ताजे पानी के साथ
त्रिफला का सेवन करें और इसके बाद एक घंटे तक पानी के
अलावा कुछ ना लें।
- मौसम को ध्यान में रखकर त्रिफला के साथ गुड़, सैंधा नमक,
देशी खांड, सौंठ का चूर्ण, पीपल छोटी का चूर्ण, शहद
इत्यादि मिलाकर सेवन कर सकते हैं।
नेत्र सुरक्षा के लिए शरद पूर्णिमा का प्रयोग
वर्षभर आंखें स्वस्थ रहे, इसके लिए शरद पूनम (१८ अक्तूबर २०१३)
की रात को चन्द्रमा की चांदनी में एक सुई में धागा पिरोने
का प्रयास करें । कोई अन्य प्रकाश नहीं होना चाहिए ।

मंगलवार, 20 जनवरी 2015

त्वचा की नमी खो गई है।

भीगी मूलतानी मिट्टी,
जैतून का तेल मिलाकर दस मिनट के लिये चेहरे पर
लगायें। फिर धो लें।
#-मुरझाई त्वचा के लिये जैतून का तेल जल्द असर
करता है। तेल लगाकर थोड़ी देर छोड़ दें।
पंद्रह मिनट बाद धो लें।
# नाभि में प्रतिदिन सरसों का तेल लगाने से होंठ
नहीं फटते और फटे हुए होंठ मुलायम और सुन्दर
हो जाते है। साथ
ही नेत्रों की खुजली और
खुश्की दूर हो जाती है।
या सरसों का तेल कनपटी में मलिए, कान में
डालिए, नाक में सुड़किए, नाभि में लगाइए - इससे नेत्र-
ज्योति तथा मस्तिष्क - शक्ति बढ़ती है।
जुकाम कभी नहीं होता।
सर्दी के दिनों में प्रतिदिन सरसों का तेल
नाभि पर लगाने से हाथ पांव
भी नहीं फटते और हाथ
पैरों की चमड़ी खुरदरी नहीं होती।
# टमाटर को पीसकर चेहरे पर इसका लेप
लगाने से त्वचा की कांति और चमक
दो गुना बढ़ जाती है। मुंहासे, चेहरे
की झाइयां और दाग-धब्बे दूर करने में मदद
मिलती है।
# पसीना अधिक
आता हो तो पानी में
फिटकरी डालकर स्नान करें।
# यदि नींद न आने
की शिकायत है, तो रात्रि में सोते समय
तलवों पर सरसों का तेल लगाएं।
# एक कप गुलाब जल में आधा नीबू निचोड़
लें, इससे सुबह-शाम कुल्ले करने पर मुंह की बदबू
दूर होकर मसूड़े व दांत मजबूत होते हैं।
# भोजन के साथ 2 केले प्रतिदिन सेवन करने से भूख में
वृद्धि होती है।
# आंवला भूनकर खाने से खांसी में फौरन
राहत मिलती है।
# 1 चम्मच शुद्ध घी में हींग
मिलाकर पीने से पेटदर्द में राहत
मिलती है।
# बड़ की जटा का चूर्ण दूध
की लस्सी के साथ
पीने से नकसीर रोग
ठीक होता है।
त्वचारोगों में दालचीनी:
#-त्वचा में खाज और खुजली होने पर
दालचीनी पाउडर तथा शहद
बराबर मात्रा में लेकर लगाने से लाभ होता है.
#-इसके पाउडर में थोडा सा नीबू का रस
मिलाकर चेहरे पर लगाने से कील मुंहासे दूर
होते हैं.

दस आदतें, जो किडनी खराब करती हैं:

1. पेशाब आने पर करने न जाना
2. रोज 7-8 गिलास से कम
पानी पीना
3. बहुत ज्यादा नमक खाना
4. हाई बीपी के इलाज में
लापरवाही बरतना
5. शुगर के इलाज में कोताही करना
6. बहुत ज्यादा मीट खाना
7. ज्यादा मात्रा में पेनकिलर लेना
8. बहुत ज्यादा शराब पीना
9. पर्याप्त आराम न करना
10. सॉफ्ट ड्रिंक्स और सोडा ज्यादा लेना

मूली से मिलने वाले स्वास्थ्य लाभ।


1- मूली में खाने योग्य फाईबर तत्व
का बड़ा भण्डार होता है, जो खाये हुये भोजन के
पाचन में सहायक होते हैं।
2- मूली खाने से चयापचय ( metabolism )
प्रक्रियाऐं सुचारू रूप से चलती हैं।
अतः रोज भोजन में मूली का प्रयोग
किया जा सकता है।
3- मूली में पाया जाने वाला विटामिन
K त्वचा को स्वस्थ रखने का कार्य उत्तम रूप से करता है।
यह नयी कोशिकाओं के उत्पादन और
बीमार कोशिकाओं को नष्ट करने में
शरीर की मदद करता है।
4- मूली के पत्तों में लौह तत्व (iron)
पाया जाता है जो खून बढाने में सहायक होता है और
दिल को मजबूती देता है।
5- मूली में
पानी की प्रचुरता होती है
जिस कारण यह डिहाईड्रेशन के रोगियों के लिये एक
अच्छा विकल्प है।
6- मोटापे से ग्रस्त बन्धु
भी अपनी डाईट में
मूली को निश्चिन्त होकर शामिल कर
सकते हैं।
7- मूली का रस नाखूनों पर मालिश करने से
चमकदार बनते हैं और बार बार टूटते नही हैं।
8- गैस के रोगियों के लिये
मूली का किसी भी रूप
में सेवन अत्यंत लाभकारी होता है।
9- मूली का सेवन गुर्दे
की पथरी के रोग में
भी लाभकारी है।

तांबे के बर्तन से पानी पीने के १४ स्वास्थ्य लाभ

हम में से ज्यादातर लोगों ने अपने दादा-
दादी से तांबे के बर्तन में
संग्रहीत
पानी पीने के स्वास्थ्य
लाभों के बारे में सुना होगा। कुछ लोग
तो पानी पीने के लिए
विशेष रूप से तांबे से बने गिलास और जग का उपयोग
करते हैं। लेकिन क्या इस धारणा के पीछे
वास्तव में कोई वैज्ञानिक समर्थन है? या यह एक
मिथक है बस? तो आइए तांबे के बर्तन में
पानी पीने के
बेहतरीन कारणों को जाने
1 . तांबे के बर्तन में
पानी पीना अच्छा क्यों है?
आयुर्वेद के अनुसार, तांबे के बर्तन में
संग्रहीत पानी में आपके
शरीर में तीन दोषों (वात,
कफ और पित्त) को संतुलित करने
की क्षमता होती है और यह
ऐसा सकारात्मक पानी चार्ज करके
करता है। तांबे के बर्तन में
जमा पानी 'तमारा जल' के रूप में
भी जाना जाता है और तांबे के बर्तन में
कम 8 घंटे तक रखा हुआ
पानी ही लाभकारी होता है।
2. तांबे के बर्तन में पानी पीने
के फायदे
जब पानी तांबे के बर्तन में संग्रहित
किया जाता है तब तांबा धीरे से
पानी में मिलकर उसे सकारात्मक गुण
प्रदान करता है। इस पानी के बारे में सबसे
अच्छी बात यह है कि यह
कभी भी बासी (बेस्वाद)
नहीं होता और इसे
लंबी अवधि तक संग्रहित
किया जा सकता है।
3. बैक्टीरिया समाप्त करने में मददगार
तांबे को प्रकृति में ओलीगोडिनेमिक के
रूप में (बैक्टीरिया पर धातुओं
की स्टरलाइज प्रभाव) जाना जाता है
और इसमें रखे पानी के सेवन से
बैक्टीरिया को आसानी से
नष्ट किया जा सकता है। तांबा आम जल जनित रोग
जैसे डायरिया, दस्त और
पीलिया को रोकने में मददगार
माना जाता है। जिन देशों में
अच्छी स्वच्छता प्रणाली नहीं है
उन देशों में
तांबा पानी की सफाई के
लिए सबसे सस्ते समाधान के रूप में पेश आता है।
4. थायरॉयड
ग्रंथि की कार्यप्रणाली पर
नियंत्रण
थायरेक्सीन हार्मोन के असंतुलन के
कारण थायराइड
की बीमारी होती है।
थायराइड के प्रमुख लक्षणों में तेजी से वजन
घटना या बढ़ना, अधिक थकान महसूस
होना आदि हैं। कॉपर थायरॉयड ग्रंथि के बेहतर
कार्य करने की जरूरत का पता लगाने
वाले सबसे महत्वपूर्ण मिनरलों में से एक है। थायराइड
विशेषज्ञों के अनुसार, कि तांबे के बर्तन में रखें
पानी को पीने से
शरीर में थायरेक्सीन
हार्मोन नियंत्रित होकर इस
ग्रंथि की कार्यप्रणाली को भी नियंत्रित
करता है।
5. मस्तिष्क को उत्तेजित करता है
तांबे में मस्तिष्क को उत्तेजित करने वाले और
विरोधी ऐंठन गुण होते हैं। इन
गुणों की मौजूदगी मस्तिष्क
के काम को तेजी और अधिक कुशलता के
साथ करने में मदद करते है।
6. गठिया में फायदेमंद
गठिया या जोड़ों में दर्द
की समस्या आजकल कम उम्र के लोगों में
भी होने लगी है। यदि आप
भी इस समस्या से परेशान हैं, तो रोज
तांबे के पात्र
का पानी पीये। तांबे में
एंटी-इफ्लेमेटरी गुण होते हैं।
यह गुण दर्द से राहत और दर्द की वजह से
जोड़ों में सूजन का कारण बने - गठिया और
रुमेटी गठिया के मामले विशेष रूप से
फायदेमंद होते है।
7. त्वचा को बनाये स्वस्थ
त्वचा पर सबसे अधिक प्रभाव
आपकी दिनचर्या और खानपान
का पड़ता है। इसीलिए अगर आप
अपनी त्वचा को सुंदर बनाना चाहते हैं
तो रातभर तांबे के बर्तन में रखें
पानी को सुबह पी लें।
ऐसा इसलिए क्योंकि तांबा हमारे
शरीर के मेलेनिन के उत्पादन का मुख्य
घटक है। इसके अलावा तांबा नई कोशिकाओं के
उत्पादन में मदद करता है
जो त्वचा की सबसे
ऊपरी परतों की भरपाई करने
में मदद करती है। नियमित रूप से इस नुस्खे
को अपनाने से त्वचा स्वस्थ और चमकदार लगने
लगेगी।
8. पाचन क्रिया को दुरुस्त रखें
पेट जैसी समस्याएं जैसे
एसिडिटी, कब्ज, गैस आदि के लिए तांबे
के बर्तन का पानी अमृत के सामान
होता है। आयुर्वेद के अनुसार, अगर आप अपने
शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर
निकालना चाहते हैं तो तांबे के बर्तन में कम से कम 8
घंटे रखा हुआ पानी पिएं। इससे पेट
की सूजन में राहत
मिलेगी और पाचन
की समस्याएं भी दूर
होंगी।
9. उम्र बढ़ने
की प्रक्रिया को धीमा करें
अगर आप त्वचा पर फाइन लाइन को लेकर चिंतित हैं
तो तांबा आपके लिए प्राकृतिक उपाय है। मजबूत
एंटी-ऑक्सीडेंट और सेल गठन
के गुणों से समृद्ध होने के कारण कॉपर मुक्त कणों से
लड़ता है---जो झुर्रियों आने के मुख्य कारणों में से एक
है---और नए और स्वस्थ त्वचा कोशिकाओं के उत्पादन
में मदद करता है।
10. खून की कमी दूर करें
ज्यादातर भारतीय महिलाओं में खून
की कमी या एनीमिया की समस्या पाई
जाती है। कॉपर के बारे में यह तथ्य सबसे
ज्यादा आश्चर्यजनक है कि यह शरीर
की अधिकांश प्रक्रियाओं में बेहद
आवश्यक होता है। यह शरीर के लिए
आवश्यक पोषक तत्वों को अवशोषित कर रक्त
वाहिकाओं में इसके प्रवाह को नियंत्रित करता है।
इसी कारण तांबे के बर्तन में रखे
पानी को पीने से खून
की कमी या विकार दूर
हो जाते हैं।
11. वजन घटाने में मददगार
गलत खान-पान और अनियमित
जीवनशैली के कारण कम उम्र
में वजन बढ़ना आजकल एक आम समस्या हो गई है। अगर
आप अपना वजन घटाना चाहते हैं तो एक्सरसाइज के
साथ ही तांबे के बर्तन में
रखा पानी पीना आपके
लिए फायदेमंद साबित हो सकता है। इस
पानी को पीने से
शरीर की अतिरिक्त
वसा कम हो जाती है।
12. कैंसर से लड़ने में सहायक
तांबे के बर्तन में रखा पानी वात, पित्त
और कफ की शिकायत को दूर करने में मदद
करता है। इस प्रकार से इस पानी में
एंटी-ऑक्सीडेंट होते हैं,
जो कैसर से लड़ने की शक्ति प्रदान करते
हैं। अमेरिकन कैंसर सोसायटी के अनुसार
तांबे कैंसर की शुरुआत को रोकने में मदद
करता है, कैसे इसकी सटीक
कारण अभी तक ज्ञात
नहीं है, लेकिन कुछ अध्ययनों के अनुसार,
तांबे में कैंसर विरोधी प्रभाव मौजूद
होते है।
13. घाव को तेजी से भरें
तांबा अपने एंटी-
बैक्टीरियल, एंटीवायरल और
एंटी इफ्लेमेटरी गुणों के लिए
जाना जाता है। इसलिए इसमें कोई आश्चर्य
नहीं होना चाहिए
कि तांबा घावों को जल्दी भरने के
लिए एक शानदार तरीका है।
14. दिल को स्वस्थ रखें
दिल के रोग और तनाव से ग्रसित
लोगों की संख्या तेजी बढ़ती जा रही है।
यदि आपके साथ भी ये
परेशानी है तो तांबे के बर्तन में
रखा पानी पीने से
आपको लाभ हो सकता है। तांबे के बर्तन में रखे हुए
पानी को पीने से पूरे
शरीर में रक्त का संचार
बेहतरीन रहता है। कोलेस्ट्रॉल कंट्रोल में
रहता है और दिल
की बीमारियां दूर
रहती हैं।
।।सबका कल्याण हो।।

कुछ सूत्र जो याद रक्खे.....!

चाय के साथ कोई
भी नमकीन चीज
नहीं खानी चाहिए।दूध और
नमक का संयोग सफ़ेद दाग
या किसी भी स्किन
डीजीज को जन्म दे सकता है,
बाल असमय सफ़ेद होना या बाल
झड़ना भी स्किन
डीजीज ही है।
सर्व प्रथम यह जान लीजिये कि कोई
भी आयुर्वेदिक
दवा खाली पेट खाई
जाती है और दवा खाने से आधे घंटे के अंदर
कुछ खाना अति आवश्यक होता है,
नहीं तो दवा की गरमी आपको बेचैन
कर देगी।
दूध या दूध
की बनी किसी भी चीज
के साथ दही ,नमक, इमली,
खरबूजा,बेल, नारियल, मूली,
तोरई,तिल ,तेल, कुल्थी, सत्तू, खटाई,
नहीं खानी चाहिए।
दही के साथ खरबूजा, पनीर,
दूध और खीर
नहीं खानी चाहिए।
गर्म जल के साथ शहद
कभी नही लेना चाहिए।
ठंडे जल के साथ घी, तेल, खरबूज, अमरूद,
ककड़ी, खीरा,
जामुन ,मूंगफली कभी नहीं।
शहद के साथ मूली , अंगूर, गरम खाद्य
या गर्म जल कभी नहीं।
खीर के साथ सत्तू, शराब, खटाई,
खिचड़ी ,कटहल
कभी नहीं।
घी के साथ बराबर मात्र1 में शहद भूल कर
भी नहीं खाना चाहिए ये
तुरंत जहर का काम करेगा।
तरबूज के साथ
पुदीना या ठंडा पानी कभी नहीं।
चावल के साथ
सिरका कभी नहीं।
चाय के साथ
ककड़ी खीरा भी कभी मत
खाएं।
खरबूज के साथ दूध, दही, लहसून और
मूली कभी नहीं।
कुछ चीजों को एक साथ खाना अमृत
का काम करता है जैसे-
खरबूजे के साथ चीनी
इमली के साथ गुड
गाजर और मेथी का साग
बथुआ और दही का रायता
मकई के साथ मट्ठा
अमरुद के साथ सौंफ
तरबूज के साथ गुड
मूली और मूली के पत्ते
अनाज या दाल के साथ दूध या दही
आम के साथ गाय का दूध
चावल के साथ दही
खजूर के साथ दूध
चावल के साथ नारियल
की गिरी
केले के साथ इलायची
कभी कभी कुछ
चीजें बहुत पसंद होने के कारण हम
ज्यादा बहुत ज्यादा खा लेते हैं।
ऎसी चीजो के बारे में बताते
हैं जो अगर आपने ज्यादा खा ली हैं
तो कैसे पचाई जाएँ ----
केले की अधिकता में
दो छोटी इलायची
आम पचाने के लिए आधा चम्म्च सोंठ का चूर्ण और गुड
जामुन ज्यादा खा लिया तो ३-४
चुटकी नमक
सेब ज्यादा हो जाए
तो दालचीनी का चूर्ण एक
ग्राम
खरबूज के लिए आधा कप
चीनी का शरबत
तरबूज के लिए सिर्फ एक लौंग
अमरूद के लिए सौंफ
नींबू के लिए नमक
बेर के लिए सिरका
गन्ना ज्यादा चूस लिया हो तो ३-४ बेर
खा लीजिये
चावल ज्यादा खा लिया है तो आधा चम्म्च
अजवाइन पानी से निगल
लीजिये
बैगन के लिए सरसो का तेल एक चम्म्च
मूली ज्यादा खा ली हो तो एक
चम्म्च काला तिल चबा लीजिये
बेसन ज्यादा खाया हो तो मूली के पत्ते
चबाएं
खाना ज्यादा खा लिया है
तो थोड़ी दही खाइये
मटर ज्यादा खाई हो तो अदरक चबाएं
इमली या उड़द की दाल
या मूंगफली या शकरकंद
या जिमीकंद
ज्यादा खा लीजिये तो फिर गुड खाइये
मुंग या चने की दाल ज्यादा खाये
हों तो एक चम्म्च
सिरका पी लीजिये
मकई ज्यादा खा गये
हो तो मट्ठा पीजिये
घी या खीर ज्यादा खा गये
हों तो काली मिर्च चबाएं
खुरमानी ज्यादा हो जाए
तोठंडा पानी पीयें
पूरी कचौड़ी ज्यादा हो जाए
तो गर्म पानी पीजिये
अगर सम्भव हो तो भोजन के साथ
दो नींबू का रस आपको जरूर ले
लेना चाहिए या पानी में मिला कर
पीजिये या भोजन में निचोड़
लीजिये ,८०%
बीमारियों से बचे रहेंगे।
अब ये देखिये कि किस महीने में
क्या नही खाना चाहिए और क्या जरूर
खाना चाहिए ---
चैत में गुड बिलकुल
नहीं खाना ,नीम
की पत्ती /फल, फूल खूब
चबाना।
बैसाख में नया तेल नहीं खाना ,चावल खूब
खाएं।
जेठ में दोपहर में चलना मना है, दोपहर में
सोना जरुरी है।
आषाढ़ में पका बेल खाना मना है, घर
की मरम्मत जरूरी है।
सावन में साग खाना मना है, हर्रे
खाना जरूरी है।
भादो मे दही मत खाना,
चना खाना जरुरी है।
कुवार में करेला मना है, गुड
खाना जरुरी है।
कार्तिक में जमीन पर सोना मना है,
मूली खाना जरूरी है।
अगहन में जीरा नहीं खाना ,
तेल खाना जरुरी है।
पूस में धनिया नहीं खाना, दूध
पीना जरूरी है।
माघ में मिश्री मत
खाना ,खिचड़ी खाना जरुरी है।
फागुन में चना मत खाना, प्रातः स्नान और
नाश्ता जरुरी है।

आयुर्वेद: खजूर वाला दूध -

आयुर्वेद: खजूर वाला दूध -

सोमवार, 19 जनवरी 2015

खजूर वाला दूध -


समूचे में उत्तर भारत में कडाके की ठण्ड पड़ रही है. ऐसे में चाय
कॉफ़ी की जगह क्यों ना गरमा गरम खजूर वाला दूध
बनाया जाए. हो सके तो मिटटी की हांडी में दूध खुला कर उसमे
थोड़ा केसर , खजूर और कटे बादाम या ज़रा सा बादाम तेल
मिला दे. फिर इसे कुल्हड़ में डालकर गरमा गरम पी जाए.

मूंगफली के फायदे

सर्दियों के मौसम में गर्मागर्म मूंगफली का स्वाद ही कुछ और
होता है लेकिन बात जब आपकी सेहत से जुड़ी हो तो इसके
फायदों की कोई कमी नहीं है।
मूंगफली के फायदों से पहले बात करते हैं इसमें मौजूद पोषक
तत्वों की। करीब 100 ग्राम मूंगफली में आपको 567 कैलोरी, 49
ग्राम फैट्स जिसमें सात ग्राम सैचुरेटेड 40 ग्राम अनसैचुरेटेड फैट्स,
जीरो कोलेस्ट्रॉल, सोडियम 18 मिलीग्राम, पोटैशियम 18
मिलीग्राम, कार्बोहाइड्रेट, फोलेट, विटामिन्स, प्रोटीन,
फाइबर आदि अच्छी मात्रा में हैं।
फर्टिलिटी बढ़ती है
मूंगफली में फोलेट अच्छी मात्रा में है। कई शोधों में
माना जा चुका है कि जो महिलाओं 700 माइक्रोग्राम
फोलिक एसिड वाली डाइट का सेवन करती हैं उनके
गर्भवती होने व गर्भस्थ शिशुओं की सेहत में 70 प्रतिशत तक
का फायदा होता है।
ब्लड शुगर पर नियंत्रण
एक चौथाई कप मूंगफली के सेवन से शरीर को 35 प्रतिशत तक
मैगनीज मिलता है जो फैट्स पर नियंत्रण और मेटाबॉलिज्म
ठीक रखता है। इसका नियमित सेवन खून में शुगर
की मात्रा संतुलित रखता है।
तेज दिमाग के लिए
मूंगफली में विटामिन बी3 अच्छी मात्रा में है जो दिमाग के
लिए फायदेमंद है। यह याददाश्त बढ़ाने में काफी मददगार है।
स्टोन से छुटकारा
कई शोधों में यह प्रमाणित हो चुका है कि एक
मुट्ठी मूंगफली का नियमित सेवन गॉल ब्लैडर में स्टोन के रिस्क
को 25 प्रतिशत कम करता है।
दिल के दौरे से बचाव
मूंगफली में मोनोअनसैचुरेटेड फैट्स और एंटीऑक्सीडेंट्स
अच्छी मात्रा में होते हैं जो दिल की सेहत के लिए फायदेमंद है।
इसके अलावा, यह धमनियों के ब्लॉकेज के रिस्क को भी कम
करने में मदद करता है।
वजन घटाने में फायदेमंद
शोधों में मानी जा चुका है कि जो लोग रोज
मूंगफली का सेवन करते हैं उन्हें वजन घटाने में
दूसरों की अपेक्षा दोगुनी आसानी होती है।

एक देशी फल कमरख .....!


* इसे दन्तसठ ,कमरक , पर्णमाचाल , पीतफल , शिराल shiral
करंबल आदि नामों से भी जाना जाता है.#कमरख के पेड़ बड़े
और छायादार होते है और ये हमेशा हरेभरे और फलों से लदे होते है.
* कमरख का उपयोग अचार , चटनी , मुरब्बा, सलाद आदि में
होता है. ये स्वाद में इसके फल काफी खट्टे होते है और
ज्यादा पक जाने पर इनमें थोडी मिठास भी आ जाती है।
*आदिवासियों के अनुसार इसका पका हुआ फल शक्तिवर्धक
और ताजगी देने वाला होता है।
* गर्मियों में इस फल के सेवन से लू की मार नहीं पडती तथा यह
ज्यादा गर्मी की वजह से होने वाले बुखार में
भी लाभकारी होता है। अक्सर ग्रामीणजन इसके पके
फलों का रस (पन्हा) तैयार कर दोपहर में पीते है, माना जाता है
कि शरीर की आंतरिक तासीर को यह ठंडा बनाए रखता है और
प्यास को बुझाता भी है।
* भोजन के दौरान कमरख के अधपके फलों की चटनी या अचार
को भी खाया जाए तो गर्मियों में काफी फायदा करता है।
* बवासीर के रोगियों को पके हुए कमरख के फलों का सेवन
करना चाहिए।
* फलों का रस हैंगओवर से निजात पाने में मदद करता है।
* जिन माताओं को प्रसूति पश्चात दुध स्रावण की समस्याएं
रहती है, उन्हें भी पके फलों का रस देना चाहिए।
* ये काटने पर तारे के आकार में सुंदर दिखते है.तथा इसे
काली मिर्च , जीरा और चीनी के साथ खाने पर अच्छे लगते है.
इनकी प्रकृति गर्म होती है.
* कच्चा फल वात नाशक और पित्त वर्धक
होता है.तथा पका फल शक्तिवर्धक , पुष्टिकारक और
रुचिकारक होता है.
* इसके फलों का शरबत बना कर पिने से बुखार जल्दी उतरता है.
* सुबह शाम इसका शरबत पिने से रक्तपित्त में लाभ होता है.
* कपड़ों पर जंग के दाग लगने पर कमरख के पके या कच्चे फल से ४-५
बार जरा जोरो से रगड़ दें.४-५ मिनट बाद पानी से उस स्थान
को धो डालें, दाग गायब हो जायेंगे.
* प्रात:काल ताजे पके कमरख का रस २-३ तोला लेकर उसमें
थोड़ी चीनी मिलाकर एवं थोड़ा पानी मिलाकर शर्बत
पी लिया करें. ४-५ दिनों में ही आप अनुभव करेंगे कि भूख तेजी से
लगने लगी है, भोजन में रूचि बढ़ जाती है.
* यह जिगर और दिल को ताकत देता है.
* बालों से रूसी का सफाया करने के लिए बादाम तेल और
कमरख के रस का मिश्रण बनाकर बालों में लगाएं.
* इसकी पत्तियों और डंडियों को दाद और खुजली पर पीसकर
कर लगाया जाता है.
* यह ज़हर के असर को कम करते है.
* इसके फूल पेट के कीड़ों को नष्ट करते है.
* इसके फल रेचक होते है और डीसेंट्री को ठीक करते है.
* इसके फल रक्त प्रदर को शांत करते है.
* इसके बीज ज़्यादा मात्रा में लेने पर गर्भपात कर सकते है.
* इसके फलों में भरपूर लौह होता है .
* सूरीनामी देशों में इसे फटी एडियों के इलाज में काम में
लाया जाता है.